Baisakhi 2019: क्यों मनाया जाता है बैसाखी का त्योहार, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा और महत्त्व
हैप्पी बैसाखी, (फोटो क्रेडिट्स: फाइल फोट)

भारत देश में अलग-अलग राज्य हैं और हर राज्य में त्योहारों को अलग-अलग नाम और रूप में मनाया जाता है. इस साल बैसाखी (Baisakhi 2019) 14 अप्रैल को मनाएगी जाएगी. इस दिन नए साल की शुरुआत हो जाती है. जिस तरह उत्तर भारत में बैसाखी मनाई जाती है. उसी तरह बंगाल में पैला बैसाख (Pahela Baishakh) यानि पीला बैसाख तो दक्षिण में बिशु (Bishu) तो वहीं केरल, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में बिहू (Bihu) के नाम से भी इसे मनाया जाता है. पहाड़ी क्षेत्रों में भी इस दिन मेलों का आयोजन किया जाता है. बंगाली नव वर्ष, मलयाली नव वर्ष बिशु, तमिल नव वर्ष पुथांदू, आसामी नव वर्ष बिहु का आरंभ भी वैसाखी से ही माना जाता है.

बैसाखी बैसाख महीने में मनाया जाने वाला त्योहार है. इस त्योहार को उत्तर भारत के हिस्सों पंजाब और हरियाणा में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है. सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करता है तब बैशाखी का त्योहार मनाया जाता है. ये विशेष रूप से किसानो का पर्व है, जो अपनी आनेवाली फसल के लिए मनाते हैं. बैसाखी के दिन गेहूं की फसल पककर तैयार हो जाती है. इस खुशी को किसान बैसाखी के रूप में मनाते है और नाच-गाकर भगवान को धन्यवाद करते हैं. गेहूं की फसल के अलावा तिल, गन्ना, सरसो आदि फसलें गेहूं के साथ ही तैयार हो जाती है. बैसाखी में हर जगह खेतों में फसलें लहलहाती हुई दिखाई देती हैं. इस दिन किसान अपनी फसल में से कुछ हिस्सा भगवान को चढ़ाते हैं और कुछ गरीबों में दान करते हैं. पंजाब में इस त्योहार को पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है. इस दिन पुरुष और महिलाएं और बच्चे नए कपड़े पहनते हैं. ढोल, ताशे बजाए जाते हैं और ढोल की ताल पर भांगड़ा करते हैं.

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बैसाखी के त्योहार को मनाने के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं हैं. सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंग सिंह जी ने 1699 में इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिखों के अलावा बैसाखी का दिन हिन्दुओं के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. इस दिन से भगवान बदरीनाथ की यात्रा की शुरुआत हो जाती है. अप्रैल महीने की 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब वह समय हिदुओं के नव वर्ष का दिन होता है. इस दिन से नए संवत की शुरुआत होती है. इस दिन को संपूर्ण भारत में पर्व के रुप में मनाया जाता है.