Bach Baras 2024 Wishes: बछ बारस के इन शानदार हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings को भेजकर दें शुभकामनाएं
बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

Bach Baras 2024 Wishes in Hindi: सनातन धर्म में गौ माता को सबसे पवित्र माना गया है, जिसमें 33 कोटी देवी-देवताओं का वास माना जाता है. यही नहीं मानव जीवन के पोषण में गायों का विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए गायों के प्रति सम्मान और आभार जाहिर करने के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi) का पर्व मनाया जाता है. इस साल 28 अक्टूबर 2024 को गोवत्स द्वादशी मनाई जा रही है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में गोवत्स द्वादशी को वसु बारस (Vasu Baras), गुजरात (Gujarat) में बाघ बारस (Vagh Baras) या बछ बारस (Bach Baras) के नाम से जाना जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में इसे श्रीपाद श्री वल्लभ (Sripada Sri Vallabha) के श्रीपाद वल्लभ आराधना उत्सव (Sripada Vallabha Aradhana Utsav) के तौर पर मनाया जाता है.

गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग गौ माता और बछड़ों की पूजा करते हैं. गायों-बछड़ों को कपड़े और आभूषणों से सजाने के बाद उनकी पूजा की जाती है, इस दिन गेहूं और दूध से बनी चीजों का सेवन करने से परहेज किया जाता है. इस अवसर पर आप इन शानदार हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों को बछ बारस की शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- जब भी हो अंतिम समय, करिए गैया दान,
हमको यह समझा रहे, अपने वेद पुराण...
बछ बारस की शुभकामनाएं

बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

2-  गोबर से बढ़िया नहीं, खाद दूसरी कोय,
डालोगे गर यूरिया, लाख बीमारी होय...
बछ बारस की शुभकामनाएं

बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

3- गौ पाली तब ही बने, कान्हा जी गोपाल,
दूध-दही से वे करें, सबको मालामाल...
बछ बारस की शुभकामनाएं

बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

4- बची नहीं गायें अगर, ऐसा होगा हाल,
तरसेंगे फिर दूध को, इस माटी के लाल...
बछ बारस की शुभकामनाएं

बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

5- गायों की सेवा करो, रोज नवाओ शीश
खुश होकर देंगी तुम्हें, वे लाखों आशीष
बछ बारस की शुभकामनाएं

बछ बारस 2024 (Photo Credits: File Image)

गौरतलब है कि गोवत्स द्वादशी के पर्व को उत्तरी भारत के कुछ क्षेत्रों में 'वाघ' के रूप में संदर्भित किया जाता है, जो सभी वित्तीय ऋणों को चुकाने, बहीखाते को साफ करने और नए बहीखाते में आगे कोई लेनदेन नहीं करने का संकेत देता है. बता दें कि सत्व प्रधान गाय अपने दूध से धरती पर लोगों का पालन-पोषण करती है. इसके साथ ही अपने गोबर से मिट्टी को उर्वरता प्रदान करती है. इस दिन पवित्र पशु को चना और अंकुरित मूंग जैसी कई चीजें खिलाई जाती हैं.