नई दिल्ली. इस्लाम धर्म में ईद-इल-फित्र के दो तीन महीने बाद ईद-उल-ज़ुहा (Eid al-Adha) का त्यौहार मनाया जाता है. पूरी दुनिया की निगाहें सऊदी अरब (Saudi Arab) के मक्का मस्जिद पर टिकी हुई है.ऐसा माना जा रहा है कि अगर आज सऊदी (Saudi) में चांद दिखाई दिया तो कल भारत (India) में चांद दिखने की उम्मीद है. बताना चाहते है कि यह कुर्बानी का त्यौहार है. इस्लाम (Islam) धर्म का यह दूसरा प्रमुख त्यौहार है. इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है. इसके पहले जून के महीने में ईद उल फ़ित्र के रूप मनाया गया था. तो आपको जानकारी दे देते हैं ईद-उल-जुहा (Eid Ul Zuha) के बारे में जो इस बार 12 या 13 अगस्त 2019 को मनाई जाएगी. सबकी नजरें इसी पर टिकी हुई है कि सऊदी अरब, यूएई, कतर, यूके और अमेरिका (America) में कब दिखेगा चांद.
आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते है कि ईद-उल-ज़ुहा (Eid Ul Zuha) हज़रत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है.इस दिन हज़रत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान करने पर राजी हुए थे. इस त्यौहार का मुख्य उद्देश्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव जगाना है. ईद-उल-ज़ुहा (Eid Ul Zuha) का यह पर्व इस्लाम (Islam) के पांचवें सिद्धान्त हज की भी पूर्ति करता है.
जानिए ईद-उल-ज़ुहा को कैसे मनाया जाता है?
-ईद-उल-ज़ुहा (Eid Ul Zuha) के दिन मुसलमान भाई किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुर्बानी देते हैं. इस कुरबानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक खुद के लिए, एक सगे-संबंधियों के लिए और एक गरीबों के लिए.
-इस दिन सभी लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज़ पढ़ते हैं. मर्दों को मस्जिद व ईदगाह और औरतों को घरों में ही पढ़ने का हुक्म है. नमाज़ पढ़कर आने के बाद ही कुर्बानी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.
-ईद उल ज़ुहा (Eid Ul Zuha) में भी ज़कात देना अनिवार्य होता है ताकि खुशी के इस मौके पर कोई गरीब महरूम ना रह जाए.
खास बात है कि कुर्बानी के गोश्त का अधिकतर हिस्सा सिर्फ गरीब लोगों में तकसीम किया जाता है.