Durga Puja 2024 Start & End: विजयादशमी को दुर्गा पूजा सम्पन्न होने के बाद माँ दुर्गाजी की विदाई की प्रक्रिया शुरु हो जाती है, विदाई से पूर्व सिंदूर खेला और विदाई पूजा होती है. इसके बाद देवी की प्रतिमा को निकटतम जलाशय में विसर्जित करने की परंपरा निभाई जाती है. यह मां दुर्गा के अपने लोक में वापसी का प्रतीक है.
दुर्गा पूजा भारत के सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्वों में एक है, जिसे देश भर में विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, और त्रिपुरा में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल का प्रमुख पर्व होने के कारण वहां इसे ‘दुर्गो पूजो’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है. पांच दिवसीय दुर्गा पूजा के दरमियान सुभो षष्ठी, महा सप्तमी, दुर्गा अष्टमी, महानवमी और बिजोया दशमी को आदि शक्ति की विशेष पूजा-अनुष्ठान सम्पन्न किया जाता है. ये भी पढ़े:Sharad Navratri 2024 Sanskrit Wishes: शारदीय नवरात्रि पर इन संस्कृत WhatsApp Messages, Shlokas, Facebook Greetings को भेजकर कहें नवरात्रि-पर्वणः शुभाशयाः
देवी दुर्गा की यह पूजा वस्तुतः बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो महाबलशाली राक्षस महिषासुर पर माँ दुर्गा की विजय की याद दिलाता है. दुर्गा पूजा आश्विन मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी से प्रारंभ होकर दशमी तक चलता है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 2024 में दुर्गा पूजा 9 अक्टूबर से शुरू होकर 13 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. आइये जानते हैं पांच दिवसीय दुर्गा पूजा का तिथिवार संपूर्ण विवरण...
दुर्गा पूजा 2024 की सिलसिलेवार तिथियां
दिन तिथि पूजा एवं अनुष्ठान
दुर्गा पूजा (दिन-1) 09 अक्टूबर, 2024 सुभो षष्ठी, बिल्व निमन्त्रण कल्परम्भ, अकाल बोधन, आह्वान
और अधिवास..
दुर्गा पूजा (दिन-2) 10 अक्टूबर 2024 दुर्गा महासप्तमी, कोलाबो पूजा, सरस्वती पूजा
दुर्गा पूजा (दिन-3) 11 अक्टूबर, 2024 दुर्गा अष्टमी, कुमारी पूजा, संधि पूजा
दुर्गा पूजा (दिन-4) 12 अक्टूबर, 2024 दुर्गा महानवमी, बलिदान, नवमी होम
दुर्गा पूजा (दिन-5) 13 अक्टूबर 2024 विजयादशमी, बंगाल दुर्गा विसर्जन, सिंदूर उत्सव
दुर्गा पूजा का महत्व
दुर्गा पूजा के दौरान देश भर में घरों एवं विभिन्न पंडालों में पूरी निष्ठा और आस्था के साथ पूजा की जाती है. पूजा काल के दौरान ये पंडाल धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ संगीत, नृत्य, नाटक सहित तमाम सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन जाते हैं. इन पूरे पांच दिनों तक सर्वत्र मंत्रोच्चारण, ढाक (पारंपरिक ड्रम) की लयबद्ध थाप, धूप और फूलों की सुगंध से सराबोर रहता है.
इस त्यौहार को मनाने के लिए दूरदराज से लोग एकत्र होते हैं, जिससे सामुदायिक संबंध और एकता मजबूत होती है. यह अवसर परिवार और दोस्तों के साथ जुड़ने का होता है. इस तरह दुर्गा पूजा महज एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उत्सव भी है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ता है
गौरतलब है कि साल 2021 दिसंबर माह में कोलकाता में दुर्गा पूजा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया है.