Chanakya Niti: लक्ष्मी किसी एक जगह क्यों नहीं ठहरती? जानें चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा?
Chanakya Niti (img: file photo)

मौर्य साम्राज्य के समकालीन कौटिल्य उर्फ आचार्य चाणक्य आज भी प्रासंगिक हैं. इसके लिए जीवन के लगभग हर क्षेत्र में उनकी नीतियों की अहम भूमिका रही है. आचार्य ने अपने नीति शास्त्र में इंसान को बेहतर जीवन जीने के लिए तमाम नीतियों पर चर्चा किया है, जो ना केवल जीवन को सही दशा-दिशा दिखाती है, बल्कि जीवन से जुड़ी कई चीजों को सही ढ़ंग से आगे बढ़ाने में भी सहायक साबित होती है. उनके एक ऐसे ही एक श्लोक, जिसमें उन्होंने बताने की कोशिश की है कि धन की देवी लक्ष्मी आखिर एक जगह क्यों नहीं टिकतीं, क्यों उन्हें चंचला कहा जाता है?

कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बव्हाशिनं निष्ठुरभाषितं च।

सूर्योदये चास्तमिते शयानं विमुञ्चतेश्रीर्यदि चक्राणिः।।

अर्थात जो लोग अपने आसपास सफाई नहीं रखते, साफ कपड़े नहीं पहनते, और अपने शरीर की स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते, वह हमेशा दरिद्र रहते हैं. ऐसे लोगों को कभी यश नहीं मिलता, और माँ लक्ष्मी का वास कभी नहीं होता. चाणक्य चेताते हैं कि मनुष्य को सदा साफ-सफाई पर ध्यान रखना चाहिए. यह भी पढ़ें :Vidyarthi Divas 2024: विद्यार्थी दिवस क्यों मनाया जाता है? जानें इसके पीछे का उद्देश्य, डॉ. आंबेडकर से जुड़ा है ये खास दिन

चाणक्य के कहने का आशय यह है कि जिस व्यक्ति में निम्नलिखित दुर्गुण हों, उसे लक्ष्मी 'धन-सम्पत्ति' त्याग देती है. उदाहरण के लिए जो व्यक्ति मैले-कुचैले कपड़े पहन कर रहता है, जिसके दांत गंदे होते हैं, दांतों से बदबू आती हो. इसके अलावा जो व्यक्ति बहुत अधिक भोजन करता है, अर्थात् भुक्खड़ व्यक्ति, जो सूर्य निकलने से उसके अस्त होने तक सोया रहता है. ऐसा व्यक्ति चाहे कितना ही बड़ा आदमी क्यों न हो, लक्ष्मी उसके पास जाना पसंद नहीं करती. गन्दगी और आलस्य लक्ष्मी को कभी पसंद नहीं रहा है, फिर वह चाहे साक्षात् चक्रपाणि भगवान विष्णु ही क्यों न हों. अतः गरीबी को दूर करने तथा जीवन में तरक्की अथवा आगे बढ़ने के लिए साफ-सुथरा रहने और आलस्य को त्याग देना अत्यन्त आवश्यक है.