Zika Virus: पैर पसार रहा है जीका वायरस; गर्भवती महिलाओं और भ्रूण को ज्यादा खतरा, जानें लक्षण और बचाव का तरीका
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नई दिल्ली: देश में एक बार फिर जीका वायरस के मामले मिलने से हड़कंप मचा हुआ है. महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में जीका वायरस के मामले सामने आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को सभी राज्यों को परामर्श जारी कर देशभर में हालात पर कड़ी निगरानी बनाए रखने का निर्देश दिया. राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस जांच पर ध्यान केंद्रित करें और संक्रमित पाई जाने वाली महिलाओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें. Dementia के मामलों के लिए भविष्य में सबसे बड़ा जोखिम फैक्टर क्या है, अध्ययन में हुआ इसका खुलासा.

क्या है जीका वायरस

जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है और बारिश में इसका खतरा बढ़ जाता है. जीका वायरस मच्छर काटने के 2 से 7 दिन के अंदर संक्रमण पैदा कर देता है. डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका एक वायरल इंफेक्शन होता है. ये तीनों वायरस लगभग एक जैसे ही हैं.

जीका वायरस के लक्षण

जीका वायरस से संक्रमित होने पर लोगों को बुखार, सिरदर्द, जॉइंट पेन, मसल्स पेन, आंखें लाल होना और स्किन पर रैशेस जैसे लक्षण नजर आते हैं. कई मामलों में इसके भी लक्षण नजर नहीं आते हैं इसलिए चेकअप जरूरी होता है.

इलाज

जीका वायरस का संक्रमण खतरनाक है, समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा हो सकता है. संक्रमण होने पर लोगों को लक्षणों के आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है. अगर किसी मरीज को बुखार आता है, तब उसे फीवर की दवा दी जाती है. इसके अलावा पेनकिलर का इस्तेमाल किया जाता है. जीका वायरस की कोई सटीक दवा या वैक्सीन नहीं है.

अधिकतर मामलों में ट्रीटमेंट के जरिए लोग 8-10 दिनों में रिकवर हो जाते हैं. हालांकि सही समय पर इलाज न कराने से कंडीशन सीरियस हो सकती है और इससे लोगों की जान भी जा सकती है. इसलिए ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें.

गर्भवती महिलाओं को अधिक खतरा

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक जीका वायरस का संक्रमण प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यह संक्रमण गर्भ में पल रहे बच्चे को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. इस इंफेक्शन के कारण बच्चों में बर्थ डिफेक्ट हो सकता है और कई बार अबॉर्शन भी हो सकता है. गर्भवती महिलाओं के जीका वायरस का शिकार होने पर भ्रूण में माइक्रोसेफेली हो सकता है. यह ऐसी स्थिति होती है, जिसमें मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण सिर काफी छोटा हो जाता है.

जिन बच्चों में इस वायरस की वजह से बर्थ डिफेक्ट होता है, उस कंडीशन को जीका सिंड्रोम कहा जाता है. इस सिंड्रोम से प्रभावित होने वाले बच्चों का फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट सही तरीके से नहीं हो पाता है.

जीका वायरस से कैसे बचें?

जीका वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका मच्छरों से बचाव करना है. मच्छर न सिर्फ आपको जीका वायरस से संक्रमित कर सकते हैं, बल्कि इसने आपको डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे अन्य जानलेवा संक्रमण भी हो सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति को जीका वायरस का इंफेक्शन हो, तो उससे दूरी बनाएं. इसके अलावा अगर बुखार, सिरदर्द, मसल्स में दर्द या आंखों में परेशानी हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपना ब्लड टेस्ट कराएं. टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर आपका ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं.