
नई दिल्ली, 15 मार्च : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा है कि किसी महिला के किसी पुरुष के साथ रहने के सहमति का यह मतलब नहीं निकाला जा सकता कि वह उसके साथ यौन संबंध बनाने के लिए तैयार है. अदालत ने कहा, अभियोजिका के किसी पुरुष के साथ रहने के लिए सहमति और यौन संबंध के लिए सहमति के बीच के अंतर को स्पष्ट करने की आवश्यकता है. केवल इसलिए कि एक महिला किसी पुरुष के साथ रहने के लिए सहमति देती है, 'चाहे कितने समय के लिए', यह तथ्य इस बात का अनुमान लगाने का आधार नहीं हो सकता है कि उसने उसके साथ यौन संबंध के लिए भी सहमति दी थी. जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच संत सेवक दास के नाम से मशहूर संजय मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे खारिज कर दिया गया है. मलिक पर 12 अक्टूबर, 2019 को एक चेक नागरिक के साथ दिल्ली के एक छात्रावास में बलात्कार करने का आरोप है, 31 जनवरी 2020 और 7 फरवरी 2020 में प्रयागराज और बिहार के गया में उसके साथ यौन शोषण किया.
अभियुक्त के अनुसार, अभियोजिका ने न तो कोई शिकायत की और न ही किसी अन्य स्थान पर कोई एफआईआर दर्ज करवाने का प्रयास किया, जहां उसका कथित रूप से यौन उत्पीड़न किया गया था, और बहुत बाद में, 6 मार्च, 2022 को दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गई. दूसरी ओर, अभिंंजी किलकारी, मां चरण कौर ने दिया बेटे को जन्म, देखें पहली तस्वीर