World Hindi Day: 10 जनवरी को ही क्यों मनाते जाते हैं 'विश्व हिंदी दिवस'
विश्व हिंदी दिवस 2020 (Photo Credit- Twitter)

विश्व हिंदी दिवस: प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को 'विश्व हिंदी दिवस' मनाया जाता है. इस दिवस विशेष के जरिये दुनिया भर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए जागरुकता लाने के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में रह रहे भारतवंशियों को एक छत के नीचे एकत्र होने का अवसर मिलता है, ताकि हिंदी भाषा को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के स्तर पर लाया जा सके. संपूर्ण दुनिया में हिंदी भाषा के विस्तार के लिए इस दिन भारतीय दूतावासों में भिन्न-भिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. गौरतलब है कि साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने 10 जनवरी को 'विश्व हिंदी दिवस' मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से ही भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा हर वर्ष 10 जनवरी को 'विश्व हिंदी दिवस' सेलीब्रेट किया जा रहा है.

10 जनवरी का ही दिन क्यों ?

आजादी के बाद से ही भारत सरकार को एक ऐसी भाषा की जरूरत थी, जो लगभग संपूर्ण भारत में बोली और समझी जाती हो, ताकि स्थानीय भाषाओं के बीच वह संपर्क भाषा के रूप में कार्य कर सके. अध्ययन एवं अतिसंख्य मतों के बाद माना गया कि भारत में हिंदी सबसे ज्यादा बोली और समझी जाती है. इसके साथ ही हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिलाने की जद्दोजहद शुरु हुई. इसी कोशिश के तहत साल 1975 में 10 जनवरी को नागपुर में पहला 'विश्व हिंदी सम्मेलन' का आयोजन किया गया. कहा जाता है कि 10 से 14 जनवरी तक चले इस सम्मेलन में 30 देशों से लगभग 122 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने किया था. जानकारों की मानें तो यह सम्मेलन काफी सफल रहा था, लेकिन हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लाने में कच्छप चाल से चलते हुए भारत को करीब 31 साल लग गये, जब 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को 'विश्व हिंदी दिवस' मनाने की घोषणा की. इसे विडंबना ही कहा जायेगा कि स्वयं डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने प्रधानमंत्रित्व के कार्यकाल में राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कभी भी हिंदी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया.

उद्देश्यः

'विश्व हिंदी दिवस' का मूल मकसद था, विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरुकता पैदा करना. इसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसके अनुकूल वातावरण तैयार करना, हिंदी भाषा के प्रति अनुराग पैदा करना और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना. इस अवसर पर भारतीय दूतावास विदेशों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, तथा सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

हिंदी को ही अहमियत क्यों ?

ताजे आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में हिंदी बोलने वालों की कुल संख्या करीब 54 करोड़ से ज्यादा है. जबकि भारत में हिंदी भाषा 77 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती है. भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश में भी बहुतायत हिंदी बोली और समझी जाती है. इसके अलावा दुनिया भर में करीब 176 विश्वविद्यालयों में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है. फिजी में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है. इसे फीजियन हिंदी या फीजियन हिंदुस्तानी (Fijian Hindustani) कहा जाता है. भारतीय संविधान भाग 17 अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी मानी गयी है. जबकि संविधान के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए राज्य को विशेष निर्देश दिये गए हैं, जिसके अनुसार हिंदी भाषा भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके इसलिए संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए और उसका विकास करे.