दिल्ली हाई कोर्ट में दो भारतीय रेस्टोरेंट दारियागंज और मोती महल जनवरी से ही एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. दोनों का दावा है कि उन्होंने बटर चिकन की खोज की! ये मामला इतना चर्चा का विषय बना है कि दुनिया भर के सोशल मीडिया यूजर्स, फूड क्रिटिक्स, एडिटोरियल और टीवी चैनल इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं.
प्रसिद्ध मोती महल रेस्टोरेंट चेन का कहना है कि वह बटर चिकन के एकमात्र आविष्कारक हैं और उन्होंने दारियागंज से मांग की है कि वह अपने रेस्टोरेंट में बटर चिकन के आविष्कार का दावा करना बंद करे और लगभग 240,000 डॉलर का हर्जाना भुगतान करे. मोती महल का कहना है कि उनके संस्थापक कुंदन लाल गुजराल ने 1930 के दशक में पेशावर (जो अब पाकिस्तान में है) में एक ढाबे पर इस क्रीमी व्यंजन का आविष्कार किया था, और बाद में दिल्ली आ गए.
दारियागंज ने इस दावे को "गलत" बताया और कहा कि यह अदालत को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है. दारियागंज का कहना है कि उनके परिवार के एक स्वर्गीय सदस्य, कुंदन लाल जग्गी ने इस व्यंजन का आविष्कार किया था जब वह दिल्ली स्थित उनके रेस्टोरेंट में रसोई संभालते थे. गुजराल, जो उनके पेशावर के दोस्त और पार्टनर थे, केवल मार्केटिंग संभालते थे.
🚨 Two Indian restaurant chains, Daryaganj and Moti Mahal, have been battling since January at the Delhi High Court, both claiming credit for inventing butter chicken curry. pic.twitter.com/eM7cn1wTQ7
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) May 19, 2024
दोनों लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं, गुजराल का निधन 1997 में और जग्गी का 2018 में हो गया था. दारियागंज ने 642 पेज के जवाब में कई दस्तावेज पेश किए हैं, जिनमें 1930 के दशक की एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो जिसमें पेशावर में दो दोस्तों को एक साथ दिखाया गया है, 1949 का पार्टनरशिप समझौता, दिल्ली में स्थानांतरित होने के बाद जग्गी का बिजनेस कार्ड और 2017 का एक वीडियो जिसमें जग्गी बटर चिकन के मूल के बारे में बात करते हैं.
दारियागंज ने अपने दावे में कहा है कि दोनों दोस्तों की पार्टनरशिप के चलते, "दोनों पक्षों का दावा सही हो सकता है कि उनके पूर्वजों ने इस व्यंजन का आविष्कार किया था." उन्होंने इस विवाद को "व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता" कहा है.
मोती महल ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 29 मई को करेगी. इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि बटर चिकन का आविष्कार कहां, कब और किसने किया? क्या गुजराल ने पेशावर में किया, जग्गी ने दिल्ली में किया, या फिर दोनों को इसका श्रेय दिया जाना चाहिए?
टेस्टएटलस द्वारा दुनिया के "सर्वश्रेष्ठ व्यंजनों" की सूची में बटर चिकन 43वें स्थान पर है, और इसका आविष्कार किसने किया, इसे लेकर विवाद बड़ा महत्वपूर्ण हो जाता है. इमेज गुरु और इंडियन पीआर फर्म परफेक्ट रिलेशंस के सह-संस्थापक दिलीप चेरीन का कहना है, "आविष्कारक होने का दुनिया भर में और उपभोक्ता आकर्षण के मामले में बहुत बड़ा फायदा होता है. आप अधिक पैसे वसूलने के भी हकदार हैं."
मोती महल का दुनिया भर में 100 से ज़्यादा आउटलेट्स का फ्रैंचाइज़ी मॉडल है. दिल्ली में उनके बटर चिकन व्यंजन की शुरुआती कीमत 8 डॉलर है, और न्यू यॉर्क में यह 23 डॉलर में बिकता है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उनके दिल्ली स्थित मुख्य आउटलेट पर आ चुके हैं.
दारियागंज की शुरुआत 2019 में हुई थी और उनके बटर चिकन की कीमत 7.50 डॉलर है. उनके 10 आउटलेट हैं, जो ज्यादातर दिल्ली में हैं. उनके अन्य भारतीय शहरों और बैंकॉक में विस्तार करने की योजना है.
मोती महल ने अपने 2,752 पेज के भारतीय मुकदमे में दारियागंज पर उनके आउटलेट के इंटीरियर की "लुक और फील" की नकल करने का भी आरोप लगाया था. दारियागंज ने जवाब में रेस्टोरेंट के इंटीरियर की तस्वीरें पेश की हैं, जिसकी समीक्षा जज करेंगे. दारियागंज का कहना है कि मोती महल ने उनके "फर्श की टाइलों के डिज़ाइन" की नकल की है.
यह मामला न केवल दो रेस्टोरेंट चेन के बीच एक व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता का मामला है, बल्कि भारतीय खानपान की एक महत्वपूर्ण विरासत को लेकर भी है. जज के फैसले का इंतज़ार है कि कौन इस विवाद को जीतेगा और बटर चिकन के आविष्कार का श्रेय किसके पास जाएगा.