Maharashtra: बॉम्बे HC का अहम फैसला, व्हाट्सऐप समूह का संचालक किसी सदस्य के आपत्तिजनक पोस्ट के लिए जिम्मेदार नहीं
बॉम्बे हाई कोर्ट (Photo Credits: PTI)

मुंबई, 26 अप्रैल : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) की नागपुर पीठ ने कहा है कि व्हाट्सऐप समूह के संचालक पर समूह के दूसरे सदस्य द्वारा किए गए आपत्तिजनक पोस्ट (Objectionable Post) के लिए आपराधिक कार्यवाही नहीं हो सकती. इसके साथ ही अदालत ने 33 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया. आदेश पिछले महीने जारी हुआ था और इसकी प्रति 22 अपैल को उपलब्ध हुई. न्यायमूर्ति जेड ए हक और न्यायमूर्ति ए बी बोरकर की पीठ ने कहा कि व्हाट्सऐप के एडमिनिस्ट्रेटर के पास केवल समूह के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का अधिकार होता है और समूह में डाले गए किसी पोस्ट या विषयवस्तु को नियंत्रित करने या रोकने की क्षमता नहीं होती है.

अदालत ने व्हाट्सऐप (Whatsapp) के एक समूह के संचालक याचिकाकर्ता किशोर तरोने (33) द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश सुनाया. तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में भारतीय दंड संहिता की धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और 107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन) के तहत दर्ज मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था. यह भी पढ़ें : WhatsApp जल्द ला रहा है ये शानदार फीचर, 24 घंटे बाद अपने आप डिलीट हो जाएगा मैसेज

अभियोजन के मुताबिक तरोने अपने व्हाट्सऐप समूह के उस सदस्य के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहे जिसने समूह में एक महिला सदस्य के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले का सार यह है कि क्या किसी व्हाट्सऐप समूह के संचालक पर समूह के किसी सदस्य द्वारा किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही चलाई जा सकती है. उच्च न्यायालय ने तरोने के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और इसके बाद दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया.