लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के नोटिस के बाद औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों के लिए 12-घंटे की शिफ्ट के अपने विवादास्पद आदेश को वापस ले लिया है. जो कि पहले सामान्य तौर पर 8 घंटे थी. कोरोना वायरस महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित उद्योगों को मदद देने के मकसद से उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले तीन साल के लिए श्रम कानून (Labour Law) को निलंबित कर दिया है.
मिली जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद हाईकोर्ट योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसके बाद मजदूरों के काम के घंटों को बढ़ाने से संबंधित आदेश वापस ले लिया गया. हाल ही में राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में तीस से अधिक श्रम कानूनों को निलंबित करते हुए श्रम कानूनों के अध्यादेश से उत्तर प्रदेश को अस्थायी छूट देने का निर्णय लिया. उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में CRPF के जवान ने की पत्नी और दो बच्चों की हत्या, मामला दर्ज
श्रम कानूनों के संबंध में सुझावों को उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के एक समूह द्वारा तैयार किया गया है. इसमें राज्य के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह भी शामिल थे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में नए निवेशों, खासकर चीन से निवेश को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठा रहे है. उसी कड़ी में नई औद्योगिक इकाइयों को मदद करने के मकसद से श्रम कानूनों में भी संशोधन किया गया. तीन साल के लिए श्रम कानूनों से छूट देने का फैसला
उधर, आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने भी यूपी समेत कई राज्य सरकारों की ओर से श्रम कानूनों को बदले जाने का विरोध किया है. साथ ही श्रम कानून को मजदूरों के हित में रखने की मांग करते हुए 20 मई को देशभर में प्रदर्शन करने की बात कही है.