प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), 24 फरवरी : उत्तर प्रदेश में हुक्का बार का कारोबार करने वालों के लिए आखिरकार एक अच्छी खबर है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने उत्तर प्रदेश में अधिकारियों से हुक्का बार चलाने के लिए लाइसेंस देने या नवीनीकरण की मांग करने वाले आवेदनों पर विचार करने की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर कार्रवाई करने को कहा है. कोविड-19 के प्रसार के दौरान 2020 में राज्य के विभिन्न जिलों में चलने वाले सभी हुक्का बारों को बंद कर दिया गया था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल की पीठ ने कहा, कोविड-19 महामारी प्रतिबंधों में काफी हद तक ढील दी गई है और इसलिए कई दूसरे व्यवसायों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है. उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में समान व्यवसायों को चलाने की अनुमति दिए जाने के तथ्यों और परिस्थितियों पर भरोसा किया है. यह भी पढ़ें : Heart Attack On CCTV: हैदराबाद में जिम में एक्सरसाइज करने के दौरान पुलिस कांस्टेबल को आया कार्डियक अरेस्ट, तोड़ा दम
अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए, प्रस्तुत किया कि हुक्का बार मालिकों ने अभी तक नए लाइसेंस के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत वैधानिक प्राधिकरण को आवेदन नहीं किया है. यदि वे आवेदन करते हैं, तो उनके अनुरोध पर यथासंभव शीघ्रता से कानून के अनुसार सख्ती से विचार किया जाएगा. अदालत ने कहा, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उपरोक्त अधिनियम के तहत निर्विवाद रूप से हुक्का बार चलाने के व्यवसाय को विनियमित किया जाता है, संबंधित हुक्का बार चलाने के लिए लाइसेंस के अनुदान/नवीनीकरण के लिए वैधानिक प्राधिकरण को आवेदन करने के लिए खुला छोड़ दिया गया है.
हुक्का बार मालिकों की ओर से पेश वकील ने आग्रह किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों में काफी हद तक ढील दी गई है और इसलिए, उन्हें अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने की अनुमति दी जा सकती है. लखनऊ विश्वविद्यालय में एलएलबी के छात्र हरि गोविंद दुबे ने राज्य में हुक्का बार के माध्यम से कोरोनावायरस के प्रसार के मुद्दे पर 2020 में उच्च न्यायालय में एक पत्र याचिका दायर की थी. अदालत ने उसी का संज्ञान लिया और पत्र को जनहित याचिका माना.