लखनऊ, 11 दिसंबर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) कांग्रेस (Congress) के नेता पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी (SP) और आम आदमी पार्टी (आप) (AAP) में शामिल हो रहे हैं. कांग्रेस ने राज्य के लगभग 60 फीसदी जिलों में नेताओं और कार्यकर्ताओं को इन दोनों दलों के हाथों खो दिया है. कांग्रेस से नेताओं के बाहर निकलने का फायदा आप को मिल रहा है, जो राज्य की राजनीति में पैठ बनाने की तैयारी कर रही है. पूर्व सांसद अन्नू टंडन सैकड़ों समर्थकों के साथ पिछले महीने सपा में शामिल हो गए थे. पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लगभग हर दिन जिलों में पार्टी छोड़ रहे हैं.
हाल ही में आप में शामिल होने वाले रायबरेली में कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ नेता नदीम अशरफ जायसी (Ashraf Jaisi) ने कहा, "जेएनयू के पूर्व छात्र संदीप सिंह (Sandeep Singh) को राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Wadhra) का राजनीतिक सलाहकार माना जाता है. वह एक दूसरी विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जो गांधी और नेहरू की विचारधारा से कोसों दूर है. वरिष्ठ पार्टी नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है."यह भी पढ़े: Sharad Pawar: सोनिया गांधी के बाद UPA अध्यक्ष बन सकते हैं शरद पवार, अगले महीने मिल सकती है जिम्मेदारी, NCP ने दिया ये जवाब.
जायसी ने आगे कहा, " 'रिहाई मंच' (एनजीओ) का एक व्यक्ति, जिसने कभी कांग्रेस के लिए काम नहीं किया, उसे अब रायबरेली का प्रभारी और यूपी कांग्रेस का सचिव बनाया गया है. मुझे इस सेट-अप में घुटन महसूस हुई. संदीप सिंह को उनके राजनीतिक कार्य से ज्यादा उनके बुरे व्यवहार के लिए जाना जाता है. कोई भी इस तरह के माहौल में क्यों रहेगा?" अपने आप में शामिल होने के बारे में, उन्होंने कहा कि उन्हें अंतत: अपनी राय को आगे बढ़ाने का मौका दिया जा रहा है और पार्टी लोकतांत्रिक कामकाज में विश्वास करती है.
अन्नू टंडन (Annu Tondon) ने यह भी कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश कांग्रेस में 'घुटन' का माहौल पाया. गौरतलब है कि रायबरेली में जाइसी के कांग्रेस को छोड़ने से पार्टी को बड़ा झटका लगा है, जहां उसके दो विधायकों (अदिति सिंह और राकेश सिंह) ने पहले ही पार्टी से नाता तोड़ लिया है.
रायबरेली (Raebareli) एकमात्र लोकसभा सीट है जो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में यह सीट जीती थी. पिछले साल नवंबर में पार्टी से निष्कासित नौ वरिष्ठ कांग्रेसियों ने 'कांग्रेस पर वाम विचारधारा को थोपने' के लिए भी संदीप सिंह को जिम्मेदार ठहराया था.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "इससे यह भी पता चलता है कि युवा कांग्रेस के सदस्य दोषपूर्ण नीतियों के कारण राज्य के नेतृत्व में विश्वास खो रहे हैं. वामपंथी नेताओं को अधिकांश विभागों का प्रभार दिए जाने के बाद कई नेता घुटन महसूस कर रहे हैं." हाल ही में सपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ चुके कैसर जहां ने कहा, "उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्वविहीन और दिशाहीन हो गई है."