मुंबई, 21 जुलाई: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी गांव में खोज और बचाव दलों ने शुक्रवार को मलबे से छह और शव बरामद किए. इसके बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है जबकि 86 लोग लापता हैं.
मृतकों में नौ पुरुष, इतनी ही महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं. बुधवार रात आई इस आपदा में एक ही परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई. वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि सरकार ने राज्य के सभी भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है. Uttarakhand Cloudburst: थलीसैण ब्लॉक के रौली गांव के पास बादल फटा, पीठसैंण-बूंगीधार मोटर मार्ग पुल की दीवारें ढही
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के एक अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और अन्य सरकारी एजेंसियों ने भारी बारिश के कारण आज शाम करीब छह बजे बचाव अभियान रोक दिया.
उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ की चार टीम शनिवार सुबह फिर से अभियान शुरू करेंगी.
शुक्रवार को जिन छह लोगों के शव निकाले गए, उनमें से तीन पुरुष और तीन महिलाएं हैं. कुल 21 मृतकों में चार बच्चे शामिल हैं, जिनकी उम्र छह महीने से चार साल के बीच है. इस घटना में तीन साल के लड़के और उसकी छह महीने की बहन समेत पारधी परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई. घटना में तीन पशुओं की भी मौत हो गई, जबकि 21 पशुओं को बचा लिया गया.
रायगढ़ जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय के अनुसार, गांव के 229 निवासियों में से 22 की मृत्यु हो गई है, दस घायल हुए हैं, 111 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और 86 व्यक्तियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है. हालांकि, उनमें से कुछ लोग एक शादी में शामिल होने के लिए गांव से बाहर गए हैं, जबकि कुछ घटना के समय धान की रोपाई के काम से बाहर हैं.
19 जुलाई की रात करीब साढ़े 10 बजे मुंबई से लगभग 80 किमी दूर तटीय रायगढ़ जिले की खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव में भूस्खलन हुआ. गांव के 48 में से कम से कम 17 घर पूरी तरह या आंशिक रूप से मलबे में दब गए.
अधिकारी ने कहा कि एनडीआरएफ के दलों ने बीती रात अभियान रोक दिया था और आज बारिश के बीच सुबह करीब छह बजे उन्होंने पहाड़ी इलाके में स्थित भूस्खलन स्थल पर फिर से खोज व बचाव अभियान शुरू किया.
स्थानीय ग्रामीण और मलबे के अंदर फंसे लोगों के रिश्तेदार बचाव दलों की सहायता कर रहे हैं. उन्होंने कहा, चूंकि सुदूर गांव में पक्की सड़क नहीं है, इसलिए मिट्टी खोदने वाले यंत्रों और खुदाई करने वालों को आसानी से नहीं ले जाया जा सकता. एनडीआरएफ कर्मियों को खराब मौसम के कारण बृहस्पतिवार शाम भूस्खलन स्थल पर खोज व बचाव अभियान रोकना पड़ा था.
इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि सरकार ने राज्य के सभी भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है.
शिंदे ने विधानसभा में दिए बयान में कहा कि रायगड जिले का इरशालवाड़ी गांव भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की सूची में शामिल नहीं था. शिंदे ने कहा “ मंत्रिमंडल की एक बैठक में आज भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया. उनका सुरक्षित स्थानों पर स्थायी तौर पर पुनर्वास किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि इससे पहले भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को रायगड़, रत्नागिरी और कोल्हापुर जिले में सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया, लेकिन अब यह पूरे राज्य में किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इरशालवाडी के लोगों को पहले एक स्कूल में स्थानांतरित किया गया, लेकिन बाद में 60 कंटेनर में उन्हें आवास मुहैया कराया गया. शिंदे ने कहा कि पुनर्वास किए जाने तक वे इन कंटेनर में रहेंगे. उन्होंने कहा कि पुनर्वास के लिए भूमि को चिह्नित कर लिया गया है और राज्य की एजेंसी सिडको को तत्काल उनके लिए मकान बनाने को कहा गया है.
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