EVM-VVPAT Verification: सुप्रीम कोर्ट वीवीपैट-ईवीएम वोटों के मिलान पर आज सुना सकता है फैसला; जानें अब तक क्या हुआ

नई दिल्ली: देश में जारी लोकसभा चुनाव 2024 के बीच आज यानी बुधवार को EVM और वीवीपैट को लेकर लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अपना फैसला सुना सकता है. इस मामले में दाखिल याचिका में सौ फ़ीसदी वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग की गई है. वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले में दो दिनों की सुनवाई के बाद 18 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. India’s First Bullet Train: 2026 तक पटरी पर दौड़गी भारत की पहली बुलेट ट्रेन, रेल मंत्री ने की बड़ी घोषणा.

चुनाव आयोग कि दावा था कि EVM पूरी तरह से सुरक्षित है और उसमे छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है. इस मामले में ADR ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें वोटर के विश्वास को बढ़ाने के लिए सौ प्रतिशत VVPAT मिलान की मांग की गई. फिलहाल चुनाव आयोग प्रत्येक विधानसभा इलाके में पांच पोलिंग बूथ पर VVPAT मिलान की प्रक्रिया अपनाता है.

टॉप पॉइंट्स

  • याचिकाकर्ताओं में से एक, एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने वीवीपैट मशीनों पर पारदर्शी ग्लास को अपारदर्शी ग्लास से बदलने के चुनाव आयोग के 2017 के फैसले को उलटने की मांग की, जिसके माध्यम से एक मतदाता केवल तभी पर्ची देख सकता है जब सात सेकंड रोशनी चालू हो.
  • ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है, अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदाता देख सकता है.
  • सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर का उपयोग करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा था, "इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की प्रभावकारिता पर संदेह न करें और अगर चुनाव आयोग अच्छा काम करता है तो उसकी सराहना करें.
  • जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस दलील की आलोचना की कि कई यूरोपीय देश वोटिंग मशीनों का परीक्षण करने के बाद मतपत्र के जरिये मतदान पर वापस लौट आए हैं.
  • एक और याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि सभी पर्चियों के मिलान की सूरत में चुनाव आयोग मतगणना में 12-13 दिन लगने की बात कह रहा है. ये दलील गलत है.
  • जस्टिस खन्ना ने अतीत में बूथ कब्जाने का जिक्र करते हुए कहा, "हम सभी ने 60 का दशक देखा है. हमने देखा है कि पहले क्या होता था जब ईवीएम नहीं थे. हमें यह आपको बताने की जरूरत नहीं है.’’
  • जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है.
  • चुनाव आयोग ने सर्वोच्‍च न्‍यायालय के समक्ष यह स्‍पष्‍ट कर दिया कि ईवीएम एक स्वतंत्र मशीन है. इससे हैक या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वीवीपैट को फिर से डिजाइन करने की कोई जरूरत नहीं है.
  • चुनाव आयोग ने अपने स्टेटमेंट में कहा था कि अगर ईवीएम की जगह मैन्युअल गिनती की जाती है तो इसमें मानवीय भूल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.