SC On Religious Conversion: लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना बेहद खतरनाक, फंस जाते हैं भोले-भाले लोग, चैरिटी के पैसे का ना हो इस्तेमाल
धर्म परिवर्तन पर सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी (Photo Credit : Twitter)

Supreme Court On Religious Conversion: सुप्रीम कोर्ट पीठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें फर्जी धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण का मुद्दा एक "बहुत गंभीर" मामला है, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दान का स्वागत है, लेकिन इसका उद्देश्य भोले-भाले लोगों का धर्म परिवर्तन करना नहीं होना चाहिए. No Caste After Conversion: धर्मांतरण के बाद जाति का नहीं कर सकते इस्तेमाल, हिंदू से मुस्लिम बनें युवक की याचिका पर HC ने की टिप्पणी

जस्टिस एमआर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ ने" जबरन "धर्मांतरण के खिलाफ निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा "दान का उद्देश्य धर्मांतरण नहीं होना चाहिए. हर दान या अच्छे कार्य का स्वागत है, लेकिन इस पर विचार किया जाना आवश्यक है. “हम यहां यह तय करने के लिए नहीं हैं कि कौन सही है और कौन गलत. हम यहां चीजों को ठीक करने के लिए हैं. सभी को अपना धर्म चुनने का अधिकार है, लेकिन वह लालच देकर, कुछ सहायता देकर नहीं होना चाहिए...

जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि यदि आप मानते हैं कि किसी विशेष समुदाय या विशेष व्यक्ति की मदद करनी है, तो आप मदद कर सकते हैं... लेकिन दान का उद्देश्य धर्मांतरण नहीं होना चाहिए... हर दान या हर अच्छा काम है स्वागत है, लेकिन इस पर विचार किया जाना आवश्यक है कि दान के पीछे का इरादा क्या है.

याचिका की विचारणीयता के खिलाफ संबंधों को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यह मामला 'बहुत गंभीर' है. जस्टिस शाह ने कहा, “प्रचार करो, दान करो, सब कुछ स्वागत योग्य है, लेकिन ढांचे के भीतर. नीयत बहुत साफ होनी चाहिए. यह पहली बात है, जिस पर विचार करने की जरूरत है."

ईसाई संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि धर्मांतरण के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. कुछ लोग मान सकते हैं कि किसी देवता ने उन्हें ठीक किया. इस पर जस्टिस शाह ने कहा, "विश्वास ठीक है... लालच द्वारा दिया गया विश्वास बेहद खतरनाक है."