नयी दिल्ली, 23 फरवरी : सुप्रीम कोर्ट ने कंज्यूमर कोर्ट में रिक्त पदों पर भर्ती करने के संबंध में दिये गये अपने आदेश की अनुपालना न करने के मामले में कई राज्यों पर बुधवार को जुर्माना लगाया. जस्टिस एस के कौल और एम एम सुंदरेश की खंडपीठ ने राज्य सरकारों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि राज्यों को उसके आदेश की अनुपालना न करने और इस मामले में हलफनामा पेश करने में हुई देर के लिए जुर्माना देना होगा. खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकारें बस यही भाषा समझती हैं और वह उन राज्यों पर जुर्माना लगा रही है, जिन्होंने जिला और राज्य के कंज्यूमर कोर्ट में रिक्त पदों पर भर्तियां करने के उसके आदेश का पालन नहंी किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था. गत सात नवंबर में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में आदेश की अनुपालना न करने वालों पर अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहता है और उसने साथ ही चेतावनी थी कि भर्ती न होने पर संबंधित अधिकारियों पर एक रुपये से दो लाख रुपये तक की रिकवरी की जायेगी. इस मामले में शीर्ष अदालत द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त किये गये वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने तब खंडपीठ को बताया था कि गोवा, दिल्ली, राजस्थान, केरल और पंजाब की सरकार ने अपने कर्मचारियों के बारे में जानकारी नहीं पेश की है और बिहार ने स्थिति रिपोर्ट दी है. यह भी पढ़ें : ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम ने तमिलनाडु में खोला खाता, नगर निगम की दो सीटें जीती
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें उसका बहुत समय जाया हुआ है और वह आदेश की अनुपालना नहीं करने वाले राज्यों पर भारी जुर्माना लगायेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिक्त पदों की भर्ती करना राज्यों का कर्तव्य है तो ऐसे में उन्हें अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए कहने में अदालत को हस्तक्षेप की जरूरत क्यों पड़ रही है. खंडपीठ ने राज्यों से कहा कि वे उपभोक्ता कानून को समझें और यह कानून उपभोक्ताओं के दैनिक जीवन में आयी मुश्किलों के समाधान के लिये है.