Sexual Harassment at Workplace: कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिया ये आदेश
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न पर सख्ती दिखाते हुए अस्पतालों, नर्सिंग होम, खेल संस्थानों, स्टेडियमों, खेल परिसरों या प्रतियोगिता खेल स्थलों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट करने के लिए आंतरिक शिकायत समिति बनाने का आदेश दिया. जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) नियम, 2013 [POSH नियम] में संशोधन करने पर विचार कर सकती है ताकि एक विभाग की पहचान की जा सके और एक 'नोडल' बनाया जा सके. उक्त विभाग के भीतर व्यक्ति का पद अधिनियम को लागू करने में आवश्यक समन्वय के लिए जिम्मेदार होगा. सीवर की सफाई के दौरान मरने वालों के परिवारों को 30 लाख रुपये मुआवजा देगी सरकार; सुप्रीम कोर्ट का आदेश.

शीर्ष अदालत ने कहा, 'इससे देश भर में अधिनियम के कार्यान्वयन में अधिक एकरूपता सुनिश्चित होगी.'' कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन इनिशिएटिव्स फॉर इनक्लूसिव फाउंडेशन की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया, जिसमें केंद्र सरकार और सभी राज्यों को यौन उत्पीड़न के प्रावधानों को लागू करने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी.

बेंच ने निर्देश दिया कि सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 8 सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन की एक समेकित रिपोर्ट जमा करनी होगी.

क्या है POSH?

बता दें कि महिलाओं को वर्क प्लेस पर अक्सर हैरेसमेंट का शिकार होना पड़ता है. इस तरह के मामले सेक्सुअल हैरेसमेंट ऐट वर्क प्लेस यानी काम की जगह पर होने पर यौन शोषण के दायरे में आते हैं. हैरेसमेंट आपका बॉस या कलीग कोई भी हो सकता है. कई मामलों में महिलाएं इस शोषण का शिकार होने के बावजूद भी चुप रहती हैं.

कई मामलों में महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि आखिर शिकायत करनी कहां है. यही वजह है कि महिलाओं को दफ्तरों में सेक्सुअल हैरेसमेंट से सुरक्षित रखने के लिए पॉश (POSH) यानी के प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस बनाया गया है. इस एक्ट के तहत महिलाओं के साथ होने वाले किसी भी तरह के सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत की जा सकती है.