नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 20 अक्टूबर को कहा कि सरकारी अधिकारियों को सीवर सफाई के दौरान मरने वालों के परिवारों को 30 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा. देश में सीवर से होने वाली मौतों की घटनाओं पर गंभीर रुख अपनाते हुए इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति सीवर की सफाई के दौरान स्थायी विकलांगता का शिकार होता है, तो उसे न्यूनतम मुआवजे के रूप में 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा. लोकसभा में दिखाए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2022 में पिछले पांच वर्षों में भारत में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कम से कम 347 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 40 प्रतिशत मौतें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में हुईं. 'कोई भी लड़की रेप का झूठा आरोप नहीं लगाएगी'; मुंबई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपी को सुनाई 10 साल की सजा.
सुप्रीम कोर्ट ने सीवर में होने वाली मौतों और मामलों की निगरानी पर कई निर्देश जारी किए, कहा कि हाई कोर्ट को निगरानी से रोका नहीं गया है. सीवर से होने वाली मौतों पर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैला ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो.
सीवर सफाई के दौरान मौत पर SC सख्त
Government authorities will have to pay Rs 30 lakh compensation to families of those who die while cleaning sewer: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) October 20, 2023
जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हाथ से मैल ढोने की प्रथा पूरी तरह खत्म हो. फैसला सुनाते हुए जस्टिस भट्ट ने कहा कि यदि सफाईकर्मी अन्य विकलांगता से ग्रस्त है तो अधिकारियों को 10 लाख रुपये तक का भुगतान करना होगा. कई निर्देश जारी करते हुए बेंच ने निर्देश दिया कि सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने के लिए समन्वय करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं न हों और इसके अलावा, उच्च न्यायालयों को सीवर से होने वाली मौतों से संबंधित मामलों की निगरानी करने से न रोका जाए.