मुंबई: एक विशेष POCSO अदालत ने 2021 में अपने पड़ोस की 16 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 21 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराया और 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. विशेष न्यायाधीश एसएम टाकलीकर ने फैसला सुनाते हुए कहा, देखा गया कि कोई भी भारतीय लड़की बलात्कार का झूठा आरोप नहीं लगाएगी, क्योंकि यदि वह झूठा साबित हुआ, तो उसे जीवन भर घृणा की दृष्टि से देखा जाएगा और विशेष रूप से अविवाहित लड़की जिसके लिए उपयुक्त वर ढूंढना मुश्किल होगा. TOI की रिपोर्ट के अनुसार, जज ने कहा कि पीड़िता के पास झूठी गवाही देने और आरोपी को फंसाने का कोई कारण नहीं है क्योंकि आरोपी पीड़िता का अच्छा दोस्त था. महिलाएं अपनी मां या सास की गुलाम नहीं हैं, हाईकोर्ट ने इस मामले पर की ये टिप्पणी.
घटना 10-11 मई, 2021 की मध्यरात्रि को हुई जब लड़की अपनी दादी के घर पर सोने के लिए चली गई, जो उसी इलाके में थी. जब वह नहीं आई तो उसके परिवार ने उसकी तलाश शुरू कर दी. अगली सुबह वह रोती हुई घर आई और अपनी मां को बताया कि आरोपी ने उसे घर बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया.
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा, ''जब तक कोई अपराध वास्तव में नहीं किया गया हो, एक लड़की यह स्वीकार करने में भी बेहद अनिच्छुक होगी कि वास्तव में ऐसी कोई घटना हुई है जिससे उसकी पवित्रता पर असर पड़ने की संभावना है. वह समाज द्वारा बहिष्कृत किये जाने के खतरे के प्रति सचेत होगी."
न्यायाधीश ताकलीकर ने आगे कहा कि पीड़िता का बयान सच प्रतीत होता है कि आरोपी ने दरवाजा बंद किया, उसे चूमा और उसका यौन उत्पीड़न किया क्योंकि एक लड़की किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ऐसे आरोप नहीं लगाएगी क्योंकि वह भारतीय समाज में होने वाले दुष्परिणामों से पूरी तरह से वाकिफ है. जज ने कहा, अगर हम मान भी लें कि आरोपी और लड़की के बीच प्रेम संबंध है, तो भी इससे उसे बलात्कार करने का अधिकार नहीं मिल जाता.