नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सोमवार को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के अनुसार, आरोपियों में मुस्साविर हुसैन शाज़िब और अब्दुल मतीन अहमद ताहा शामिल थे, जो इस्लामिक स्टेट (IS) से प्रेरित थे और उन्हें क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से फंड मुहैया कराया गया था. इस चार्जशीट में एनआईए ने कई बड़े खुलासे किए हैं. NIA की रिपोर्ट के अनुसार, इन आरोपियों ने 2024 में अयोध्या में राम मंदिर 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के दिन बेंगलुरु में बीजेपी के कार्यालय पर आईईडी विस्फोट की योजना बनाई थी.
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि आरोपियों ने बेंगलुरु में कई हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए इन फंड्स का इस्तेमाल किया. इसमें BJP कार्यालय मल्लेश्वरम पर असफल आईईडी हमला भी शामिल था, जो 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन होना था. इसके बाद इन दोनों मुख्य आरोपियों ने रामेश्वरम कैफे में धमाके की योजना बनाई.
NIA की जांच से पता चला कि शाज़िब ने रामेश्वरम कैफे में बम प्लांट किया था. शाज़िब और ताहा, जो कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले से आते हैं, इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रेरित होकर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बना रहे थे. NIA के बयान के अनुसार, "ताहा और शाज़िब ने धोखे से भारतीय सिम कार्ड और बैंक खाते प्राप्त किए थे और उन्होंने भारतीय और बांग्लादेशी पहचान पत्रों का भी उपयोग किया, जिन्हें उन्होंने डार्क वेब से डाउनलोड किया था."
जांच में यह भी सामने आया कि ताहा का संबंध शोएब अहमद मिर्जा से था, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की बेंगलुरु साजिश मामले का पूर्व दोषी है. शोएब ने ही ताहा को मोहम्मद शाहिद फैसल से मिलवाया था, जो लश्कर-ए-तैयबा साजिश का फरार आरोपी है. अन्य दो आरोपी, माज़ मुनीर अहमद और मुज़म्मिल शरीफ़, ताहा और शाज़िब से प्रभावित होकर उनके संपर्क में आए थे. रामेश्वरम कैफे में 1 मार्च को हुए धमाके के दौरान नौ लोग घायल हो गए थे, जब लंच का समय था और कैफे पूरी तरह से भरा हुआ था.