Rahul Gandhi ED Enquiry: राहुल गांधी से करीब 9 घंटे तक चली पूछताछ, ED ने शुक्रवार को फिर बुलाया
राहुल गांधी (Photo Credits Fcaebook)

नयी दिल्ली, 15 जून: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नेशनल हेराल्ड’ समाचार पत्र से जुड़े कथित धनशोधन के एक मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल  गांधी से लगातार तीसरे दिन बुधवार को करीब आठ घंटे तक पूछताछ की और इस दौरान उनसे ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) और इसका स्वामित्व रखने वाली कंपनी ‘यंग इंडियन’ से जुड़े निर्णयों में उनकी ‘निजी भूमिका’ के बारे में सवाल-जवाब किए. राहुल पर कार्रवाई व कांग्रेस नेताओं पर लगी पाबंदियों पर कांग्रेस नेता बोले : यह समय काले अध्याय में लिखा जाएगा. 

राहुल गांधी रात करीब साढ़े नौ बजे एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर स्थित ईडी मुख्यालय से बाहर निकले. बुधवार को लगातार तीसरे दिन पूछताछ के बाद ईडी अब तक राहुल गांधी से कई सत्रों में करीब 30 घंटे पूछताछ कर चुकी है.

वहीं, ईडी ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को शुक्रवार को चौथी बार पूछताछ के लिए तलब किया है. अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि कांग्रेस सांसद ने बृहस्पतिवार के लिए छूट मांगी जिसकी अनुमति दे दी गई.

कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के तीसरे दिन बुधवार को भी विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया.

मुख्य विपक्षी दल ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली पुलिस ने उसके कार्यालय पर ‘हमला’ बोला और कई नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की पिटाई की, हालांकि पुलिस ने इस आरोप को खारिज किया है.

कांग्रेस के अनुसार, सांसद मणिकम टैगोर, ए. चेल्ला कुमार, अमर सिंह और जयकुमार विजय वसंत तथा राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी., दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल चौधरी और कई अन्य नेताओं को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

ईडी के अधिकारियों का कहना है कि तीन दिनों की पूछताछ के दौरान राहुल गांधी के बयान की ऑडियो एवं वीडियो रिकॉडिंग की गई. उनके बयानों को ए4 आकार वाले कागज पर टाइप किया जा रहा है और मिनट-मिनट के आधार पर उन्हें दिखाया जाता है और हस्ताक्षर करवाया जाता है तथा इसके बाद जांच अधिकारी को इसे सौंपा जाता है.

जांच एजेंसी के सूत्रों ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि राहुल गांधी से एजेएल के स्वामित्व वाली करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्तियों के बारे में सवाल किया जा रहा है और इस बारे में भी पूछा जा रहा है कि कैसे एक गैर लाभकारी कंपनी ‘यंग इंडियन’ अपनी भूमि और भवनों को किराये पर देने की वाणिज्यिक गतिविधियों को अंजाम दे रही थी.

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