प्रयागराज (Prayagraj) स्थित कुंभ मेले (kumbh Mela) में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा आयोजित धर्म संसद (Dharma Sansad) में शामिल हुए साधु-संत अब अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram mandir) निर्माण को लेकर दो खेमे में बंटते हुए नजर आ रहे हैं. वीएचपी की धर्म संसद में राम मंदिर के निर्माण को लेकर साधु-संतों (Saints) का एक खेमा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) से खासा नाराज दिखाई दे रहा है, जिसके चलते इस धर्म संसद में भागवत का साधु-संतों ने जमकर विरोध भी किया. बताया जा रहा है राम मंदिर के निर्माण को लेकर साधु-संत दो खेमे में बट गए हैं और मोहन भागवत से खासा नाराज दिखाई दे रहे हैं.
बताया जा रहा है कि साधु-संतों का राम मंदिर के मुद्दे को लेकर इस तरह से दो खेमे में बंट जाना बीजेपी और वीएचपी दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. हालांकि इस धर्म संसद में मचे घमासान के बाद वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने साधु-संतों को बाहर निकाल दिया.
उधर, इस मुद्दे पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमारी मांग है कि अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर एक भव्य राम मंदिर बनाया जाए. यह देखना है कि सरकार इसे कैसे सुनिश्चित करती हैं. यदि वो ऐसा करते हैं, तो उन्हें भगवान राम का आशीर्वाद मिलेगा. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण को लेकर आगे हम जो भी कार्यक्रम करेंगे उसका प्रभाव आगामी लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. इस समय हमें राम मंदिर के साथ-साथ मंदिर बनाने वाले को चुनना है और इस समय हमें यह भी देखना है कि राम मंदिर कौन बनाएगा. यह भी पढ़ें: राम मंदिर निर्माण: संतो ने फिर जताया PM मोदी पर भरोसा, कहा- लोकसभा चुनाव तक नहीं होगा आंदोलन
बता दें विश्व हिंदू परिषद द्वारा कुंभ में आयोजित इस धर्म संसद पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. एक ओर जहां परम साधु-संतों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिलान्यास करेंगे. इस फैसले से जुड़े धर्मादेश पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने दस्तखत किए.
वहीं दूसरी तरफ वीएचपी ने साधु-संतों के अयोध्या कूच और भूमि पूजन पर ऐतराज जताते हुए कहा कि इससे कुछ फायदा नहीं होगा. बल्कि राम मंदिर का मामला और जटिल हो जाएगा. इस मसले पर चिन्मयानंद महाराज ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है पीएम मोदी मंदिर निर्माण में कीर्तिमान स्थापित करेंगे.