आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में बहस जारी है. यह विधेयक लोकसभा में मंगलवार को पारित हुआ. लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 323 वोट और विरोध में महज तीन वोट पड़े. लोकसभा के बिल आसानी से बहुमत के साथ पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में इस विधयेक के पारित होने की राह आसान नहीं है. राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं है और उसे यहां विपक्ष इसके विरोध में अड़ा हुआ है.
राज्यसभा में जारी बहस के बीच कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने बिल पर बोलते हुए कहा कि संविधान बदलने जा रहे हैं लेकिन सरकार तब भी इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना नहीं चाहती. उन्होंने कहा कि सरकार के पास 5 साल थे, लेकिन क्यों जल्दी की जा रही है नहीं मालूम. सिब्बल ने कहा कि क्या बिल लाने से पहले सरकार ने कोई डाटा तैयार किया गया है. क्या सरकार जानती है कि कितने लोगों के पास 5 एकड़ जमीन है. या कितने लोगों के पास 1000 वर्ग फुट का घर है. बिना डेटा कलेक्ट किए कैसे सीमा तय कर दी गई. यह भी पढ़ें- सवर्ण आरक्षण: अगर सुप्रीम कोर्ट में गया मामला तो बढ़ेगी सरकार की मुश्किलें, इन चुनौतियों का करना होगा सामना
8 लाख कमाने वाला गरीब कैसे ?
बिना किसी डाटा और रिपोर्ट के आप संविधान संशोधन करने जा रहे हो. एक तरफ 2.5 लाख कमाने वाले को इनकम टैक्स देना पड़ता है और दूसरी ओर आप 8 लाख कमाने वाले को गरीब बता रहे हैं. आप इनकम टैक्स लिमिट को भी 8 लाख कर दीजिए. कपिल सिब्बल ने कहा, दलित का परिवार जो 5000 या 10000 कमाता है. लेकिन जो 8 लाख रुपए सालाना यानी 66 हजार रुपए महीना कमाता है वह आर्थिक तौर पर पिछड़ा है. इस पर रविशंकर प्रसाद ने नाराज होते हुए कहा कि दलितों के अधिकार का हनन नहीं हो रहा है. कपिल सिब्बल ने कहा, ग्रामीण परिवारों की औसत मासिक कमाई 22,405 रुपए है. फिर गांवों में क्या सब लोग इस आरक्षण के दायरे में होंगे.
यह आरक्षण नोटबंदी की तरह होगा
आरक्षण सिर्फ 10 फीसदी है. यह नोटबंदी की तरह होगा. उन्होंने कहा, कमल का हमला और एक और जुमला. गांवों में 86 फीसदी लोग इस दायरे में आ जाएंगे. नौकरी नहीं है लेकिन आप आरक्षण दे रहे हैं. कपिल सिब्बल ने रविशंकर प्रसाद को निशाना बनाते हुए कहा कि इंद्रा साहनी जैसे वकीलों ने कभी कानून की अनदेखी नहीं की. लेकिन मैं हैरान हूं कि जो वकील मंत्री बन जाते हैं वो चाहते हैं कि कानून की अनदेखी कैसे हो जाए. उन्होंने आगे कहा कि मैं कभी भी आरक्षण के मुद्दे पर शौचालय की बात नहीं करता. कपिल सिब्बल ने कहा, आज आप 10 फीसदी आरक्षण दे रहे हैं और हार्दिक पटेल को आपने राजद्रोह में जेल भेज दिया. इसमें कई संवैधानिक अड़चन है. इसपर कोई सोच विचार नहीं हुआ है.
गौरतलब है कि संविधान संशोधन के लिए सदन के आधे से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है. इसके अलावा विधेयक को दो तिहाई समर्थन से पास होना जरूरी होता है. राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है. ऐसे में सदन में कम से कम 123 सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य होगी. राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 73 और एनडीए की संख्या 89 के करीब है. ऐसे में उसे विधेयक को पारित कराने के लिए विपक्ष के सहयोग की जरूरत पड़ेगी.