नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus Pandemic) महामारी के मद्देनजर देश में लॉकडाउन को चौथी बार बढ़ाया गया है. यह लॉकडाउन 31 मई तक चलने वाला है. कोविड-19 (COVID-19) के लगातार बढ़ते मामलो ने सरकार की चिंता बढ़ा रखी है. वहीं लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. इन मजदूरों को इनके गृह राज्य भेजने के लिए केंद्र की तरफ से विशेष ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं. लेकिन प्रवासी मजदूरों के जो वीडियो लगातार सामने आ रहे हैं जिसमें वे पैदल अपने घर लौटने को मजबूर हैं. इससे जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां हो रही है. इन मजदूरों को सही सलामत घर भेजने की बजाय नेताओं की तरफ से खूब राजनीति हो रही है. प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के मुद्दे को लेकर यूपी की योगी सरकार (Yogi Govt) और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है. इसी बीच राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने एक बड़ा बयान दिया है. सचिन पायलट ने बसों को रोके जाने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सचिन पायलट ने कहा कि आज अगर कांग्रेस लोगों के लिए भोजन और बसों की व्यवस्था कर रही है, तो हर सरकार को इसका स्वागत करना चाहिए. बॉर्डर पर अनुमति प्रदान नहीं करना,नेताओं को गिरफ्तार करना और दमन राजनीति करना, क्या यह उचित है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी सरकार बसों को अनुमति नहीं दे रही है. यह भी पढ़े-प्रवासी मजदूरों को लेकर राजनीति जारी: प्रियंका गांधी के निजी सचिव ने योगी सरकार से कहा-शाम 5 बजे नोएडा-गाजियाबाद की सीमा तक बसें पहुंचेंगी, रूट मैप रखें तैयार
ANI का ट्वीट-
If Congress is arranging food & buses for people, every government should welcome it. Not providing permission at borders, arresting leaders & doing petty politics, is it justified? It is unfortunate that the UP Government is not allowing buses: Sachin Pilot, Rajasthan Deputy CM pic.twitter.com/4ph27WeVGW
— ANI (@ANI) May 20, 2020
वहीं यह भी खबर है कि नोएडा में 100 बसों को लेकर पहुंचे 50 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज किया गया है. प्रवासी मजदूरों के लिए 1 हजार बसें चलाने का प्रस्ताव कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को दिया था. जिसके बाद यूपी सरकार ने इसे मान लिया था. लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इसे चलाने की इजाजत नहीं दे रही है. दोनों तरफ से इस मसले को लेकर बयानबाजी हो रही है. दुर्भाग्य की बात यह है कि इसमें गरीब मजदूरों की समस्या नहीं हल हो रही है.