अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इसी मामले में 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला आदेश आने के बाद लोगों को एकजुट करने में राजनीतिक दलों की भूमिका को याद किया. मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का 2010 में आदेश आने के बाद एक वर्ग के लोगों ने उत्तेजक बयान देकर समाज में दरार पैदा करने की कोशिश की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनको पूरी तरह से याद है कि उस समय कुछ हितधारक वर्गो ने स्थिति का फायदा उठाकर समाज में दरार पैदा करने की कोशिश की. उन्होंने कहा, "कुछ बड़बोले लोगों ने चर्चा में आने के लिए गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए थे और यह क्रम करीब पांच से दस दिनों तक जारी रहा." मोदी ने इस सिलसिले में उस समय समाज में सौहार्द बनाने के लिए सिविल सोसायटी को बधाई दी. यह भी पढ़ें- मन की बात में पीएम मोदी ने कहा- 2010 अयोध्या फैसले के बाद लोगों को एकजुट रखने में राजनीतिक दलों ने परिपक्व भूमिका निभाई
उन्होंने कहा, "भारत की जनता, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, संतों, मनीषियों और सभी धर्मो के प्रमुखों की बदौलत एकता कायम हुई." मोदी ने अपनी टिप्पणी में बड़बोले शब्द का इस्तेमाल किया, जिससे उनका सीधा इशारा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर है, जिन्होंने मोदी सरकार से न्यायिक रास्ते को दरकिनार करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का आदेश देने की मांग की थी.