एनसीपी नेता अजित पवार को बैंक घोटाले मामले में बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने FIR दर्ज करने के आदेश पर दखल देने से किया इंकार

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में एनसीपी (NCP) के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) और 70 से अधिक अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इंकार कर दिया. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस मामले में उच्च न्यायालय के 22 अगस्त के आदेश को कुछ आरोपियों द्वारा चुनौती दिये जाने की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत के आदेश में हस्तक्षेप से इंकार करते हुये कहा कि जांच रोकी नहीं जा सकती है. उच्च न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस घोटाले के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी. पीठ ने इन आरोपियों की याचिका का निबटारा करते हुये टिप्पणी की कि यह मामला बहुत बड़ी रकम से जुड़ा है और इसलिए इसकी जांच रोकी नहीं जा सकती. पीठ ने कहा कि इस घोटाले की जांच उच्च न्यायालय के आदेश और उसकी टिप्पणियों से प्रभावित हुये बगैर जारी रहेगी.

अजित पवार, कामगार और श्रमिक पार्टी के नेता जयंत पाटिल और बैंक के अनेक पूर्व निदेशकों पर आरोप है कि उन्होंने चीनी मिलों को बेहद कम ब्याज पर कर्ज देते समय और कर्ज चुकता नहीं करने वाले कारोबारियों की संपत्ति को कौड़ियों के दामों पर बेचते समय बैंकिंग और रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन किया.साथ ही आरोप है कि इस तरह से संपत्तियों की बिक्री और सस्ती दर पर कर्ज देने तथा ऋण की अदायगी सुनिश्चित करने में विफल रहने की वजह से बैंक को 2007 से 2011 के दरम्यान एक हजार करोड़ रूपए से अधिक का घाटा हुआ.यह भी आरोप है कि आरोपियों ने बैंक को लाभ दर्शाने के लिये इसके रिकार्ड और आंकड़ों में हेरफेर की. महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार संबंधित अवधि के दौरान बैंक के निदेशक थे. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला: NCP नेता अजीत पवार सहित 76 के खिलाफ एफआईआर दर्ज

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा की गयी जांच और महाराष्ट्र सहकारी समितियां कानून के तहत अर्द्धशासी न्यायिक जांच आयोग द्वारा दाखिल आरोप पत्र में बैंक को हुये घाटे के लिये अजित पवार और अन्य आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता सुरिन्दर अरोड़ा ने अजित पवार और अन्य के खिलाफ 2015 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दायर की थी। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर उन्होंने अपने वकील एस बी तालेकर के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.