मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ सरकार पर सियासी संकट बना हुआ है. इस बीच मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) को बहुमत साबित करने के लिए कहा है. इसी के साथ राज्य में सियासी सरगर्मी एक बार फिर से बढ़ गई है. लगभग आधी रात को राजभवन से एक पत्र राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजा गया. राजभवन से सीएम को जारी किए गए पत्र के मुताबिक मध्य प्रदेश की हाल की घटनाओं से राज्यपाल को प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि उनकी (कमलनाथ) सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और ये सरकार अब अल्पमत में है. राज्यपाल ने कहा है कि ये स्थिति अत्यंत गंभीर है और सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें.
मध्य प्रदेश में ये सियासी तूफान ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पैदा हुए हैं. होली के मौके पर सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी अपने इस्तीफे दे दिए हैं. इनमें से छह विधायकों के इस्तीफे विधानसभाध्यक्ष एन पी प्रजापति ने मंजूर कर लिए हैं. अब देखना यह होगा कि कमलनाथ फ्लोर टेस्ट को पार कर पाते हैं या बीजेपी इस बार कमलनाथ सरकार को गिराने में कामयाब रहती है. 6 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद अन्य 16 विधायकों ने इस्तीफे पर स्पीकर को ही फैसला लेना है. यह भी पढ़ें- मध्यप्रदेश में सियासी संकट: विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के 6 विधायकों का किया इस्तीफा मंजूर, कमलनाथ सरकार में थे मंत्री.
मध्य प्रदेश विधानसभा की कुल संख्या 230 है. वर्तमान में दो सीटें रिक्त हैं. इसलिए, सदन की ताकत 228 है, बहुमत का आंकड़ा 115 का है. क्यों कि स्पीकर ने छह कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है, इसलिए 112 पर बहुमत के निशान के साथ सदन का कार्यबल 222 पर आ जाता है. इस तरह कांग्रेस के पास चार विधायक कम है. चूंकि कांग्रेस को बीएसपी और एसपी और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है, इसलिए अगर यह विधायक अपना समर्थन जारी रखते हैं तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायक हो जाएंगे और वह बहुमत में रहेगी.
कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे बाद विधानसभा में पार्टी के पास 108 विधायक रह जाते हैं. अगर यह मानकर चलें कि बीएसपी, एसपी और निर्दलीय उम्मीदवार कमलनाथ सरकार का समर्थन करना जारी रखते हैं, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का गठबंधन 114 हो जाएगा. हालांकि, 16 विधयाकों का फैसला अभी भी स्पीकर के हाथों में हैं. अभी यह तय नहीं है कि इन विधायकों पर स्पीकर क्या फैसला लेते हैं. यदि उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाते हैं, तो कांग्रेस के पास मात्र 92 विधायक रह जाएंगे. इससे विधानसभा की संख्या 206 और बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा. ऐसे में विधानसभा में बीजेपी आसानी से सरकार बना सकती है क्यों कि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.