Madhya Pradesh Exit Poll Predictions: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण राज्य मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) संपन्न हो चूका है. सूबे की 29 संसदीय सीटों के लिए मतदान चार चरणों में हुए. इस दौरान अधिक से अधिक सीटें जितने के लिए सभी राजनीतिक दलों और नेताओं ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया.
मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए इस बार जीत की राह साल 2014 जितनी आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में अपनी सभी जीती हुई सीटों को बचाना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. क्योंकि नवंबर 2018 में प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता पर 15 साल से काबिज बीजेपी को पटकनी देकर सरकार बनाई. निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में 12 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को बीजेपी प्रत्याशियों से अधिक मत मिले थे.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सूबे कि कुल 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों- गुना एवं छिन्दवाड़ा पर साल 2014 में जीत मिली थी. जबकि बीजेपी ने 27 पर जीत दर्ज की थी. पिछले लोकसभा चुनाव में रतलाम संसदीय क्षेत्र में हुए उप-चुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया निर्वाचित हुए थे. इस तरह वर्तमान में प्रदेश से बीजेपी के 26 और कांग्रेस के तीन सांसद हैं.
आइए देखते हैं एग्जिट पोल के आंकड़े-
आजतक-
बीजेपी: 26-28
कांग्रेस: 1-3
अन्य: 0
ABP:
बीजेपी: 22
कांग्रेस: 7
अन्य: 0
News 18-
बीजेपी: 24-27
कांग्रेस: 2-4
राज्य में 5 करोड़ 14 लाख 2 हजार 20 से ज्यादा मतदाता है. जिनमें से के 29 संसदीय क्षेत्रों में से 2 करोड़ 67 लाख से अधिक पुरुष और 2 करोड़ 46 लाख से अधिक महिला वोटर शामिल है. सूबे की 72 फिसली से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. जबकि लोकसभा की कुल 29 सीटों में से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए 19 सीटें, एससी के लिए 4 सीटें और एसटी के लिए 6 सीटें रिज़र्व रखी गई है.
उधर, पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान 15 साल बाद सूबे की सत्ता में लौटी कांग्रेस का उत्साह मौजूदा लोकसभा चुनावों में उफान पर है. राजनीतिक विश्लेषको की मानें तो राज्य में अबकी बार के लोकसभा चुनाव के परिणाम बेहद दिलचस्प होगा. क्योंकि इस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और यह चुनाव कमलनाथ सरकार के लिए काफी अहम बन गया है. बीजेपी जहां कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर हमले बोल रही है तो कांग्रेस 75 दिन के शासनकाल के 83 वादों को पूरा करने का दावा कर रही है.
जानकारों की माने तो राज्य की करीब 12 सीटें ऐसी हैं जहां कड़ा मुकाबला हो सकता है, यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चिंतित हैं. कांग्रेस को जहां गुना, छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र सुरक्षित नजर आ रहे हैं, वहां भाजपा मुरैना, विदिशा, जबलपुर, उज्जैन, मंदसौर, टीकमगढ़ को सुरक्षित मानकर चल रही है. उधर, भोपाल, इंदौर, खजुराहो, दमोह, रतलाम, खंडवा, सीधी, रीवा, शहडोल, सतना, बालाघाट और सागर में कड़ा मुकाबला होने की संभावना है.