Farmers Protest: कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन पिछले करीब चार हफ्ते से लगातार जारी हैं. किसान अपने जिद पर अड़े हैं कि सरकार इस काले कानून को वापस ले. लेकिन सरकार सिर्फ कानून में संशोधन करने की बात कहा रही हैं. जिसके चलते किसानों का आंदोलन खिचता ही जा रहा है. सरकार के रवैये से नाराज किसानों का कहना है कि वे सरकार से बातचीत करना चाहते हैं लेकिन सरकार उन्हें खुले मन से बुला नहीं रही हैं. यदि सरकार उनसे बातचीत के लिए खुले मन से बुलाए तो वे बात करने के लिए जरूर जाएंगे.
कृषि कानूनों को लेकर ही भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के नेता युधवीर सिंह (Yudhvir Singh) ने कहा जिस तरह से केंद्र सरकार इस वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है, यह स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और किसानों के विरोध का मनोबल तोड़ना चाहती है. सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उन्हें इस मामले का संज्ञान लेने और जल्द हल निकलाने की चेतावनी दे रहा हूं. यह भी पढ़े: Farmers Protest: नए कृषि बिल को लेकर जारी घमासान के बीच नरेंद्र सिंह तोमर बोले-मुझे आशा है कि जल्दी किसान चर्चा करेंगे और हम समाधान निकालने में सफल होंगे
The way Centre is carrying this process of talks, it's clear that govt wants to delay this issue & break morale of protesting farmers'. Govt is taking our issues lightly, I'm warning them to take cognizance of this matter & find a solution soon:Yudhvir Singh, Bhartiya Kisan Union https://t.co/JkkfhdMArC pic.twitter.com/AgD9uIIGid
— ANI (@ANI) December 23, 2020
वहीं स्वराज इंडिया के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा 'हम सरकार से आग्रह करते हैं कि हम उन निरर्थक संशोधनों को न दोहराएं जिन्हें हमने अस्वीकार कर दिया है लेकिन लिखित रूप में एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं ताकि इसे एक एजेंडा बनाया जा सके, और बातचीत की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जा सके. वहीं किसानों के आंदोलन को लेकर ही आम आदमी पार्टी ने फैसला लिया है कि कोर्ट में किसानों का वह कानूनी मदद करेगी. ताकि वे अपनी लड़ाई जीत सकें.