नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों (Delhi Assembly Elections 2020) में बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी (आप) (AAP) की सरकार के लिए अगली बड़ी चुनौती सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आग्रह करना होगा कि दिल्ली सरकार व केंद्र के बीच अधिकार संबंधी मुद्दों पर स्थायी समाधान खोजे और शासन को सुव्यवस्थित करने के लिए विशेषज्ञता के आधार पर एवं सुशासन के लिए नौकरशाहों को स्थानांतरित करने जैसे निर्णय उसके अधिकार क्षेत्र में हों. सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस मामले पर सुनवाई करने वाली है. अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के नेतृत्व वाली आप सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा है कि नौकरशाहों का स्थानांतरण व पोस्टिंग दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद की एक प्रमुख वजह है.
सुशासन की दिशा में सरकार की विभिन्न पहलों को यह मुद्दा लगभग अपंग करता रहा है, इसलिए यह मुद्दा महत्वपूर्ण है. मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, बी. आर. गवई और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष 29 जनवरी को इस मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील के.वी. विश्वनाथन ने दलील दी, "स्थानांतरण शक्तियों के बिना कलाकार को काम लगाना बेकार है."
फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की दो न्यायाधीश वाली पीठ ने छह विवादास्पद मुद्दों पर दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच शक्तियों के विभाजन पर फैसला दिया था, जिसमें दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र और उप-राज्यपाल के माध्यम से केंद्र की शक्तियों को उजागर किया गया था. यह भी पढ़ें: दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम 2020: दिल्ली के दंगल में AAP ने मारी बाजी, बीजेपी-कांग्रेस को जनता ने नकारा
दिल्ली सरकार को तीन क्षेत्रों विशेष लोक अभियोजकों या कानून अधिकारियों की नियुक्ति, बिजली आयोग या बोर्ड के साथ नियुक्ति या सौदा करने की शक्ति और भूमि राजस्व दर को ठीक करने की शक्ति प्रदान की। इससे पहले उपराज्यपाल के पास यह शक्ति थी.
वहीं केंद्र को दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) और जांच आयोग के गठन का अधिकार दिया गया था. इस मुद्दे पर हालांकि निर्णय नहीं हो सका था और इसे एक बड़ी पीठ के पास भेजा गया था, वह अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग से जुड़े सेवा मामलों पर नियंत्रण था.