बेंगलुरु: कर्नाटक के सीएम (CM) बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने सोमवार को राजभवन पहुंचकर राज्यपाल थावरचंद गहलोत को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इससे पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए अपने इस्तीफा देने की घोषणा की थी और कहा था कि दो साल तक राज्य की सेवा करना उनके लिए सम्मान की बात है. उनके इस्तीफे के बाद कर्नाटक में सियासी हलचल खत्म हो गई है. लेकिन राज्य की कामन बीजेपी किसके हाथ में सौपेगी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. वहीं देखें तो दक्षिण भारत में कर्नाटक एकलौता राज्य है, जिस राज्य में कांग्रेस को छोड़ बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही है. लेकिन कर्नाटक में बीजेपी का कोई भी सीएम पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका.
कर्नाटक के सियासी इतिहास को देखे तो सिर्फ तीन मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. एन निजलिंगप्पा (1962-68), डी देवराजा उर्स (1972-77) और सिद्धरमैया (2013-2018) मुख्यमंत्री रहे हैं. तीनों कांग्रेस के नेता हैं. बीजेपी या जेडीएस से कोई भी मुख्यमंत्री अपना पांच का कार्यकाल आजतक पूरा नहीं कर सका है. यह भी पढ़े: Karnataka New CM: येदियुरप्पा के बाद अब कौन होगा अगला मुख्यमंत्री? इन नामों पर चल रही है चर्चा
कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा करीब 5 दशक से सक्रिय राजनीति में हैं. इस दौरान येदियुरप्पा बीजेपी से 4 बार कर्नाटक के सीएम बने, लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. वहीं, येदियुरप्पा के अलावा बीजेपी की ओर से जगदीश शेट्टार और डीवी सदानंदा गौड़ा भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन यह यह दोनों नेता भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. बीच में इन दोनों नेताओं को इस्तीफा देना पड़ा.
बीजेपी की राजनीति में सक्रीय येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर 2007 में कर्नाटक के सीएम बने, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के चलते उन्होंने 19 नंवबर 2007 को इस्तीफा दे दिया. इस तरह से वो पहली बार महज पांच दिन के सीएम रहे. साल 2008 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हुए. येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ दक्षिण भारत में कमल खिलाने में कामयाब रही. ऐसे में 30 मई 2008 को येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ली. लेकिन तीन साल पूरा होने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया. येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को सीएम छोड़ने के साथ-साथ बीजेपी से भी नाता तोड़ लिया.
बीजेपी ने येदियुरप्पा की जगह डीवी सदानंद गौड़ा को सीएम की कुर्सी सौंपी. सदानंद गौड़ ने 4 अगस्त 2011 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन एक साल पूरा होने से पहले 12 जुलाई 2012 को इस्तीफा देना पड़ गया. सदानंद गौड़ा की जगह बीजेपी ने जगदीश शेट्टार को सीएम बनाया.
शेट्टार ने 12 जुलाई 2012 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं, येदियुरप्पा ने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी. शेट्टार की अगुवाई में बीजेपी 2013 का विधानसभा चुनाव लड़ी, लेकिन येदियुरप्पा की बगावत का पार्टी को खामियाजा भुगतना पड़ा और सत्ता गवां दी. इस तरह शेट्टर ने 12 मई 2013 को मुख्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कांग्रेस की ओर से सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले येदियुरप्पा फिर बीजेपीमें शामिल हो गए. पार्टी ने उन्हें राज्य की जिम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी और 2018 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से दूर थी. येदियुरप्पा ने तीसरी बार 17 मई 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके. इसके चलते 23 मई 2018 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 14 महीने के बाद कर्नाटक की सियासत ने एक बार फिर करवट ली. कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने बगावत का झंडा उठा लिया, जिसके चलते कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी.
इस तरह से कांग्रेस और जेडीएस के बागी नेताओं को येदियुरप्पा ने अपने खेमे में मिलाया और फिर दोबारा 26 जुलाई 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन ठीक 2 साल के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया. उनकी उम्र को देखते हुए कहा जा सकता है कि अब येदिरप्पा फिर से राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं.