नई दिल्ली:- साल 2019 अब गुजर गया. नए साल की शुरुवात हो रही है. इसी के साथ पॉलिटिकल पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो विधानसभा चुनाव में मिली हार की भरपाई करनी होगी. जिसमें सबसे भी चुनौती होगी दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में कमल को खिलाना. दिल्ली में जीत के लिए बीजेपी ने इसी साल से पूरी ताकत झोंक रखी है. क्योंकि बीजेपी को मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से हाथ धोना पड़ा है. अब यहां कांग्रेस की सरकार है. अगर बीजेपी नए साल में लगातार मिल रही हार पर विराम लगा लेगी तो पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल में इजाफा होगा. दरअसल बीजेपी का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहतर रहा है लेकिन विधानसभा में पार्टी जद्दोजहद करती नजर आई और कई जगहों पर हार का सामना करना पड़ा. जीत की सारी उम्मीदें पीएम मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और अमित शाह( Amit shah) की रणनीति पर टिकी होंगी.
बता दें कि साल 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव होना है. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने दिल्ली की जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आप की सरकार ने दिल्ली में महिलाओं का फ्री सफर, बिजली के बिल से राहत देते हुए केजरीवाल की सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल कर रहे दिल्ली के उपभोक्ताओं को बिजली बिल के रूप में कोई भुगतान नहीं करने का तोहफा दे दिया है. वहीं पानी के दरो में कटौती कर चुके हैं. मैरिज सर्टिफिकेट, बजले निवास का पता, जाति प्रमाण सहित सभी दस्तावेज अब आपके घर पर ही बनाने की सुविधा दे चुके हैं. ऐसे में पीएम मोदी को अरविंद केजरीवाल की नाक के निचे दिल्ली सीट निकालना आसान नहीं होगा. यह भी पढ़ें:- नागरिकता संशोधन कानून: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 3 जनवरी को जोधपुर में CAA समर्थित रैली में होंगे शामिल.
वहीं अगर बिहार पर नजर डालें तो यहां भी साल के अंत तक चुनाव होगा. वैसे तो यहां बीजेपी और JDU की सरकार है. लेकिन मुद्दों पर बीजेपी के साथ JDU तालमेल नहीं बिठा पा रही है. वहीं विपक्ष जैसे एकत्र होकर चुनाव लड़ रहे हैं वो फार्मूला बीजेपी-JDU की सरकार पर भारी पड़ सकता है. इस बीच सीट बंटवारे को लेकर दोनों गठबंधनों में अभी से चकचक शुरू हो गई है. झारखंड चुनाव में सफलता से उत्साहित कांग्रेस जहां विपक्षी महागठबंधन में जल्द सीट बंटवारे को लेकर दबाव बनाए हुए है, वहीं सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में JDU के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव की तरह 50-50 के अनुपात में सीट बंटवारे को नकार दिया है.
गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी , कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और रालोसपा साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन राज्य की 40 सीटों में कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज में जीत मिली. शेष 39 सीटों पर विरोधी दल के गठबंधन ने जीत हासिल की थी. माना जा रहा है कि चुनाव के पहले सीट बंटवारे को लेकर दबाव की रणनीति के तहत इस तरह की पैंतरेबाजी हो रही है.
विधानसभा के नतीजों को देखकर बीजेपी के लिए राह आसान नजर नहीं आती, लेकिन मिली हार के बाद अब मोदी और अमित शाह दोनों ही का अगला टारगेट 2020 है और इसके लिए तैयारिंयां भी शुरू हो गई हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस उत्साहित है. लेकिन कांग्रेस को जीत का लय बरकरार रखना 2020 में भी एक चुनौती है.