पटना, 27 अक्टूबर: बिहार (Bihar) के तारापुर और कुशेश्वरस्थान की दो खाली सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है, जिसको लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां एड़ी-चोटी का दम लगा रही है. इस बीच, बुधवार को इन दो सीटों पर होने वाले उपचुनाव के राजनीतिक पार्टियों के लिए महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद अस्वस्थ होने के बावजूद बुधवार को चुनाव प्रचार करने वाले हैं. यह भी पढ़े: Bihar Bypolls: सोनिया गांधी और गठबंधन को लेकर लालू यादव ने तोड़ी चुप्पी, उनका बयान कांग्रेस-RJD कार्यकर्ताओं को पढना चाहिए
लालू प्रसाद किसी भी चुनाव में प्रचार करने के लिए छह साल बाद चुनावी मंच पर होंगे. अस्वस्थ्य चल रहे लालू प्रसाद चारा घोटाले में जमानत मिलने के बाद दिल्ली में थे, लेकिन कहा जा रहा है कि चुनाव प्रचार करने के लिए वे बिहार पहुंचे हैं. राजद के कार्यकतार्ओं को लालू प्रसाद पर आज भी भरोसा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लालू प्रसाद आज भी अपने पुराने तवर और ठेठ गंवई अंदाज में मतदाताओं को रिझा पाएंगें?
वैसे, लालू प्रसाद के बिहार पहुंचने के बाद ही राज्य की सियासत गर्म हो गई है। राजद प्रमुख के छह साल बाद चुनावी प्रचार में उतरने पर सभी राजनीतिक दलों की इस पर नजर है. उल्लेखनीय है कि जदयू के पक्ष में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) एकजुट है जबकि विपक्षी दलों का महागठबंधन बिखर गया है. कांग्रेस और राजद अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार दिए हैं.
लालू प्रसाद के चुनाव प्रचार का अंदाज खास रहा है, लेकिन उम्र और अस्वस्थ होने के कारण, वे किस तरह लोगों को संबोधित करेंगे, यह देखने वाली बात होगी. बिहार में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रों में जदयू के प्रत्याशी विजयी हुए थे. जदयू जहां इन दोनों सीटों पर फिर से कब्जा जमाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
राजद भी इन दोनों सीटों को हथियाने के लिए ऐडी चोटी का जेार लगा रही है. इधर, कांग्रेस भी इन सीटों पर अधिक से अधिक मत प्राप्त कर अकेले चुनाव मैदान में उतरने के निर्णय को सही साबित करना चाह रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दोनों सीटों पर चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं, ऐसे में लालू प्रसाद की चुनावी सभा पर सभी की नजर है.
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि लालू प्रसाद राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं. उनकी पहचान एक जुझारू नेता की रही है, जिन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों को समाजिक न्याय दिलाने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि लोगों का नीतीश कुमार से मोहभंग हो गया है. इधर, सत्ता पक्ष के नेता डॉ. निखिल आनंद कहते हैं कि अब लालू प्रसाद का असर नहीं पड़ने वाला है. इधर, मतदाता भी जानते हैं कि बिहार में कांग्रेस के समाप्त होने तक लालूनाम जपना है. ऐसे में मतदाता न लालू प्रसाद की राजद की ओर देख रहे हैं नहीं कांग्रेस की ओर देख रहे हैं.
कांग्रेस के नेता इस मसले पर खुलकर नहीं बोल रहे है. बिहार प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार कहते हैं कि महागठबंधन का टूटना कहीं से भी देश की राजनीति के लिए अच्छा संदेश नहीं है. बिहार की एक-दो सीटों से देश की राजनीति पर बहुत कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बातचीत से रिश्ते में भी सुधार होगा.