कोलकाता, 10 फरवरी: दार्जिलिंग की पहाड़ियों में बिमल गुरुंग, अजय एडवर्डस और बिनॉय तमांग की तिकड़ी से जुड़ा ताजा राजनीतिक समीकरण भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम)-तृणमूल कांग्रेस गठबंधन के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है, इसलिए पहाड़ी लोगों को भूमि के दस्तावेजों का त्वरित अनुदान सियासी मुद्दा बन रहा है.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य मंत्रिमंडल के अन्य मंत्रियों के साथ कई बैठकों के बाद शुक्रवार को कोलकाता से पहाड़ी पर लौटने के बाद, बीजीपीएम प्रमुख और गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के मुख्य कार्यकारी अनित थापा ने मीडियाकर्मियों को बताया कि राज्य सरकार ने उन्हें राज्य सरकार से बागान मालिकों द्वारा लीज पर ली गई भूमि पर रहने वाले चाय बागान श्रमिकों को प्रजापट्ट (भूमि विलेख) देने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने और पूरा करने का आश्वासन दिया है. VIDEO: अचानक पप्पू की अड़ी पर पहुंचे अखिलेश, PM मोदी की फोटो को चीयर्स करके पी चाय!
थापा ने मीडियाकर्मियों को बताया- इस बाबत समीक्षा की प्रक्रिया अगले 10 दिनों में पूरी कर ली जाएगी, जिसके बाद प्रजापट्टों का वितरण शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से मुझे इस संबंध में आश्वासन दिया है. लंबे समय से प्रजापट्टों की मांग कर रहे चाय बागान के मजदूरों के लिए यह अच्छी खबर है.
यह पता चला कि चूंकि अधिकांश चाय बागान राज्य सरकार द्वारा पट्टे पर दी गई जमीन पर स्थित हैं, इसलिए वहां रहने वाले श्रमिकों को जमीन के कागजात देने में कुछ तकनीकी दिक्कतें थीं. हर चुनाव से पहले पहाड़ों में जमीन देने के वादे किए जाते थे, जो शायद ही पूरे होते थे.
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस से अलग रह रहे नेता बिनय तमांग ने दावा किया कि इस साल पंचायत चुनाव से पहले जमीन के कागजात देने का यह वादा राज्य सरकार और बीजीपीएम का एक और हथकंडा है. हैमरो पार्टी के संस्थापक अजय एडवर्डस ने भी कहा कि चूंकि जीटीए पहले किए गए हर वादे को पूरा करने में विफल रहा है, इसलिए पहाड़ी लोगों को जमीन के कागजात देने के नए वादे पर कोई भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा, जीटीए और राज्य सरकार ने जो किया है वह सरासर राजनीति है और चाय बागान श्रमिकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है.