नई दिल्ली. देश की अर्थव्यवस्था (Economy) को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार विपक्ष हमलावर है. विपक्ष सरकार को घेरने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है. इसी बीच देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरूवार को एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान सीतारमण ने कहा कि हमने बैंको से सार्वजनिक लोन बढ़ाने का निर्देश दिया है. क्योंकि अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए यह जरूरी कदम है.
अर्थव्यवस्था और विशेषतौर पर गैर- बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी की तंगी को लेकर बढ़ती चिंता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि आने वाले दिनों में देशभर में 200 जिलों में बैंकों, एनबीएफसी और खुदरा कर्ज लेने वालों की आमने सामने खुली बैठकें होंगी जिनमें एनबीएफसी को बैंकों से खुले तौर पर नकदी उपलब्ध कराई जायेगी और वह उसे खुदरा कर्ज लेनदारों को वितरित करेंगे.
निर्मला सीतारमण ने कहा-कर्ज देने के लिए बैंकों, एनबीएफसी की 200 जिलों में होंगी खुली बैठकें-
FM: We reviewed as to what's happened in terms of liquidity moving from banks to NBFCs&from NBFCs to customers. Happy to say banks have gone ahead with identifying such NBFCs for whom they can straight away lend, many of them have been given facility, many others are in pipeline. pic.twitter.com/9XTcz48fqp
— ANI (@ANI) September 19, 2019
इस तरह की बैठकें तीन अक्ट्रबर से शुरू होंगी. इनका मकसद मकान खरीदारों और किसानों समेत कर्ज चाहने वालों को ऋण सुलभ कराना है. सूक्ष्म लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) भी इन बैठकों में कर्ज सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. यह भी पढ़े-अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किए कई ऐलान: एक्सपोर्ट और हाउसिंग सेक्टर के लिए बड़े प्लान, टैक्सपेयर्स को भी मिली राहत
वित्त मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में इन बैठकों के बारे में पहले चरण के लिये अब से लेकर 29 सितंबर और दूसरे चरण के लिये 10 से 15 अक्ट्रबर 2019 की तिथि बताई थी जिसे बैंक प्रतिनिधियों की पुन: हुई बैठक में सलाह-मशविरा के बाद बदल दिया गया. अधिकारियों ने बाद में संवाददाताओं को बताया कि पहले चरण में इस तरह की बैठकें तीन से सात अक्टूबर को तथा दूसरे चरण में 11 अक्टूबर 2019 से अगले कुछ दिन तक होगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि इसके पीछे सोच यह है कि त्योहारों के दौरान लोगों को ज्यादा-से-ज्यादा कर्ज देना सुनिश्चित किया जा सके. दिवाली अक्टूबर में है और इसे देश में खरीदारी का सबसे अच्छा समय माना जाता है.
खुली बैठकों के दौरान खुदरा, कृषि और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) और आवास एवं अन्य क्षेत्रों के लिये कर्ज उपलब्ध कराये जाएंगे. मंत्री ने बताया कि बैंकों से दबाव वाले किसी भी एमएसएमई कर्ज को 31 मार्च 2020 तक फंसा कर्ज (एनपीए) घोषित नहीं करने को कहा गया है.
(भाषा इनपुट के साथ)