प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूदा समय में भारत के सबसे बड़े नेता हैं. भारत की सियासत पर उनका ऐसा वर्चस्व है जो पिछले दो दशकों में किसी और नेता का नहीं रहा है. वो लोगों की नब्ज को भालीभाती जानते हैं और उस हिसाब से अपने राजनीति की राह तय करते हैं. कई सियासी पंडित जो बीजेपी के काम के आलोचक भी है वो भी मानते है कि 2019 में मोदी को पीएम पद से हिलाना काफी मुश्किल है. बीजेपी भी पीएम मोदी के नेतृत्व के सहारे ही 2019 का किला फतह करना चाहती हैं. बीजेपी के लगभग सभी नेता प्रधानमंत्री के शान में कसीदे पढ़ते नहीं थकते.
विपक्ष मोदी को सत्ता से हटाने के प्रयास में जूटा हैं मगर उनका पूरा कैंपेन अब मोदी हेट कैंपेन नजर आ रहा है. विपक्ष की ओर से देश के भविष्य के लिए प्रोग्राम पर बात करने की जगह मोदी को हटाने की बात ही की जाती हैं. विपक्षी नेता मोदी पर हमला कर रहे हैं पर देश को आगे बढ़ने के लिए उनके पास कोई सकारात्मक एजेंडा नजर नहीं आ रहा. ऐसे में 2019 में मोदी को हटाना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा. वैसे पिछले 4 सालों में पीएम मोदी की लोकप्रियता कम जरुर हुई है मगर ऐसे कई कारण है कि वे दुबारा भी पीएम बन सकते है.
यह भी पढ़े: सोची समझी रणनीति के तहत KCR ने भंग की तेलंगाना की विधानसभा, राहुल गांधी के मंसूबों पर ऐसे फेरा पानी
कोई विकल्प नहीं:
पीएम मोदी को सबसे बड़ा एडवांटेज यही हैं की मौजूदा समय में उनका विकप्ल नजर नहीं आता. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी को प्रमोट जरुर किया जा रहा है मगर उन्हें अभी तक देश की जनता ने स्वीकार नहीं किया है. ऐसे में विकल्प नहीं होने का फायदा मोदी को मिल सकता हैं.
विपक्ष का बिखराव:
भले ही विपक्ष कितनी भी एकजुटता की बात करें मगर हकीकत में ऐसा नहीं हैं. अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा उप सभापति चुनाव के दौरान यह बात साफ़ हो गई थी. इस समय एक बात तो साफ़ नजर आ रही कि राहुल गांधी कुछ भी कर ले कांग्रेस अपने दम पर जीतती नजर नहीं आ रही हैं. ऐसे में कांग्रेस को क्षेत्रीय पार्टियों की जरुरत पड़ेगी.
आरएसएस का साथ:
2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अहम भूमिका निभाई थी. अगले साल होने वाले चुनावों में भी बीजेपी को आरएसएस का समर्थन मिलेगा और चुनावी रणनीति बनाने में भी वे अहम भूमिका निभाएंगे. देशभर में आरएसएस को मानने वाला एक बड़ा तबका हैं.