प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात (Mann Ki Baat) में कहा कि कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है. आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है. हमें, जरुर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है. हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियां सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं. कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती हैं. मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा. यह भी पढ़ें:- Farmer Bills 2020: किसान बिलों के खिलाफ अकाली दल ने NDA से तोड़ा 22 साल पुराना गठबंधन!
घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार. पीएम मोदी ने कहा, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है. हमारे यहां कथा की परंपरा रही है. ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है.
ANI का ट्वीट:-
In recent times, these sectors have freed themselves from many shackles. Attempts were made to bust many myths. Farmers tell me how new dimensions are being added to agriculture, how farming is changing. I want to share here what they have shared with me: PM Modi on #MannKiBaat pic.twitter.com/P88ngofHRC
— ANI (@ANI) September 27, 2020
बता दें कि भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है. हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है. मैं कथा सुनाने वाले सभी से आग्रह करूंगा कि क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं.
विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब हमारी नयी पीढ़ी को कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं. हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है , वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है. कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है.
देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं, ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नीवं मजबूत होगी. बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है. हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी.
लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ. 3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था. इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है.