दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका: सिगरेट के पैकेट की तरह शराब की बोतलों पर भी हो 'स्वास्थ्य चेतावनी'
दिल्ली हाईकोर्ट (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 5 मार्च : दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर राष्ट्रीय राजधानी में नशीले पेय और नशीले पदार्थों को प्रतिबंधित या नियंत्रित करने के साथ ही शराब की बोतलों पर वैसी ही स्वास्थ्य चेतावनी प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जैसी सिगरेट के पैकेट पर होती है. भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को मौखिक रूप से कहा कि शराब के औषधीय उपयोग को देखते हुए, ऐसी स्वास्थ्य चेतावनी प्रकाशित करना उचित नहीं हो सकता है.

पीठ ने उस याचिका में नोटिस जारी करने से भी इनकार कर दिया, जिसमें अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय और ड्रग्स के उत्पादन, वितरण और खपत को प्रतिबंधित या विनियमित करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी. हालांकि, पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 4 जुलाई को निर्धारित करते हुए यह भी कहा कि वह यह देखेगी कि अगली तारीख पर इस मुद्दे पर क्या किया जा सकता है. यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकवादी के 3 सहयोगी गिरफ्तार

याचिका के मुताबिक, दिल्ली में कुल 280 नगरपालिका वार्ड हैं और 2015 तक यहां केवल 250 शराब की दुकानें थीं, यानी औसतन हर वार्ड में एक शराब की दुकान और इसके अलावा औसतन 30 वार्ड ऐसे बचते थे, जिनमें शराब की दुकान नहीं थी. लेकिन अब राज्य हर वार्ड में तीन शराब की दुकानें खोलने की योजना बना रहा है, जो न केवल मनमाना और तर्कहीन फैसला है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत कानून और स्वास्थ्य के अधिकार का भी उल्लंघन है.

याचिका में कहा गया है कि नागरिकों के जानने के अधिकार, सूचना के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से मादक पेय के 'स्वास्थ्य और पर्यावरण खतरे' को लेकर विज्ञापन भी दिया जाना चाहिए. याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने मादक पेय और नशीले पदार्थों के उत्पादन, वितरण और खपत को प्रतिबंधित/नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने के बजाय दिल्ली को 'भारत की शराब राजधानी' बना दिया है. याचिका में कहा गया है, "दिल्ली सरकार न केवल आवासीय क्षेत्रों और मुख्य बाजारों में बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और मंदिरों के पास भी शराब की दुकानों तक आसान पहुंच प्रदान करते हुए शराब की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस दे रही है."