![नीति आयोग के VC राजीव कुमार ने कहा- 70 साल के सबसे बुरे दौर में इकोनॉमी, नोटबंदी और GST से बिगड़े हालात नीति आयोग के VC राजीव कुमार ने कहा- 70 साल के सबसे बुरे दौर में इकोनॉमी, नोटबंदी और GST से बिगड़े हालात](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2019/08/2019-08-22-4-1-380x214.jpg)
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन (Rajiv Kumar) राजीव कुमार ने शुक्रवार को कहा कि किसी ने भी पिछले 70 साल में देश ने ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जब पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है. राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी के बाद कैश संकट बढ़ा है. कुमार ने कहा, 'नोटबंदी, जीएसटी और बैंकरप्ट्सी ऐंड इन्सॉल्वंसी कोड के कारण खेल की पूरी प्रकृति बदल गई. पहले 35 प्रतिशत नकदी घूम रही थी, यह अब बहुत कम हो गई है. इन सब कारणों से एक जटिल स्थिति बन गई है. उन्होंने कहा कि यह दौर लंबा नहीं चले, इसके लिए सरकार को कुछ ऐसा कदम उठाना होगा जिसे बिल्कुल अनोखा कहा जा सके.
नीति आयोग उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि सरकार को 'हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे प्राइवेट सेक्टर की चिंताओं में से कुछ को तो दूर किया जा सके...'राजीव कुमार ने कहा, "सरकार बिल्कुल समझती है कि समस्या वित्तीय क्षेत्र में है... लिक्विडिटी इस वक्त दिवालियापन में तब्दील हो रही है... इसलिए आपको इसे रोकना ही होगा..."
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70 साल के सबसे बुरे दौर में इकोनॉमी-
#WATCH: Rajiv Kumar,VC Niti Aayog says,"If Govt recognizes problem is in the financial sector... this is unprecedented situation for Govt from last 70 yrs have not faced this sort of liquidity situation where entire financial sector is in churn &nobody is trusting anybody else." pic.twitter.com/Ih38NGkYno
— ANI (@ANI) August 23, 2019
राजीव कुमार ने आगे कहा कि आज कोई किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है. प्राइवेट सेक्टर के भीतर कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं है, हर कोई नगदी दबाकर बैठा है. कुमार ने सरकार को लीक से हटकर कुछ कदम उठाने की सलाह दी. राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी (दीवालिया कानून) के बाद हालात बदल गए हैं. पहले करीब 35 फीसदी कैश उपलब्ध होती थी, वो अब काफी कम हो गया है. इन सभी कारणों से स्थिति काफी जटिल हो गई है.
राजीव कुमार ने कहा कि निजी निवेश तेजी से बढ़ने से भारत को मध्यम आय के दायरे से बाहर निकलने में मदद मिलेगी. इस बारे में विस्तार से बताते हुए कुमार ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में दबाव से निपटने और आर्थिक वृद्धि को गति के लिए केंद्रीय बजट में कुछ कदमों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है. वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही जो 5 साल का न्यूनतम स्तर है.