Nirbhaya Gangrape Case: दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी अक्षय ठाकुर ने लगाई राष्ट्रपति से गुहार
निर्भया गैंगरेप के दोषी (File Photo)

नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) में शनिवार को दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी अक्षय ने दया याचिका दायर की. निर्भया गैंगरेप कांड के दोषी अक्षय ठाकुर ने यह याचिका अपराधी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज होने के बाद लगाई है. इससे पहले राष्ट्रपति 2 दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं. विनय शर्मा से पहले राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका 17 जनवरी को खारिज कर दी थी. दोषी मुकेश ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. निर्भया के दोषी लगातार फांसी को टालने के लिए कानूनी पैंतरे आजमा रहे हैं.

निर्भया के दोषी मुकेश सिंह और विनय शर्मा के पास अब क्यूरेटिव पिटिशन और मर्सी पिटिशन का विकल्प नहीं है. दोनों की याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं. विकल्प (क्यूरेटिव पिटिशन और मर्सी पिटिशन) खत्म हो चुके हैं. इसके अलावा अक्षय की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज हो चुकी है. चौथे दोषी पवन गुप्ता ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर नहीं की है, न ही उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी है. दोषी पवन के पास अभी दो विकल्प शेष हैं.

यह भी पढ़ें- Nirbhaya Gangrape Case: राष्ट्रपति ने निर्भया के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज की.

अक्षय ठाकुर ने राष्ट्रपति के समक्ष दायर की दया याचिका-

इससे पहले शुक्रवार को निर्भया गैंगरेप के दोषियों को शनिवार सुबह 1 फरवरी को होने वाली फांसी टाल दी गई. पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. दोषियों की तरफ से याचिका में कहा गया कि अब तक कुछ दोषियों ने सारे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया है. इसलिए यह फांसी स्थगित होनी चाहिए.

निर्भया गैंगरेप केस में दोषी पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दो बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है. पहले वॉरंट में फांसी की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी. दूसरे वॉरंट में फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई थी. दोषियों की फांसी के लिए अब नया डेथ वॉरंट जारी करना होगा. लगातार दो बार डेथ वॉरंट पर रोक लगने से निर्भया की मां आशा देवी गुस्से में हैं. आशा देवी ने यह भी कहा." फांसी टलने से ज्यादा तकलीफ इस बात से है कि दोषियों के वकील ने चुनौती देकर फांसी को अनंत काल तक टालने के लिए कहा."