नई दिल्ली. देश में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. प्रशासन की तमाम कोशिशें महज कागजी नजर आ रही है. हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद हत्या का मामला सामने आने के बाद देश गुस्से में है. हर राज्य में लोग सडकों पर उतरकर इसका विरोध कर रहे हैं और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले यह मांग कर रहे हैं. वही नेताओं की तरफ से भी इस मसले पर लगातार बयानबाजी जारी है. इसी बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने देश में यौन शोषण की बढती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इस संबंध में मीडिया में आयी रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए केन्द्र, राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों को नोटिस जारी कर इन मामलों से निपटने की प्रक्रिया तथा निर्भया फंड के इस्तेमाल को लेकर रिपोर्ट मांगी है.
बताना चाहते है कि एनएचआरसी का मानना है कि इस बुराई से निपटने के लिए सभी पक्षधारकों को मिलकर काम करने की अधिक जरूरत है.इसके साथ ही महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव से केन्द्र सरकार की इस संबंध में निर्भया तथा अन्य योजनाओं के बारे में छह सप्ताह में रिपोर्ट देने का भी आश्वासन दिया हुआ है. यह भी पढ़े-हैदराबाद में महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की घटना के बाद मोदी सरकार का फैसला, सभी राज्यों को जारी होगी एडवाइजरी
NHRC ने यौन शोषण की घटनाओं पर केन्द्र और राज्यों से मांगी रिपोर्ट-
NHRC: Expressing concerns over rising incidents of sexual assault&, taking suo motu cognizance of media reports in this regard, we have issued notices to Centre,States&UTs calling for reports on standard operating procedures (SOPs) to deal with such cases&use of Nirbhaya Fund. pic.twitter.com/HP4z6yD5m7
— ANI (@ANI) December 2, 2019
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी करते हुए यह भी माना कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र जिसने सबसे लंबा लिखित संविधान अपनाया है और जिसमें लिंग समानता की सांस्कृतिक धरोहर है आज उसी लोकतंत्र की महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित माहौल होने के लिए आलोचना की जा रही है. वही बलात्कार, यौन छेड़छाड़ , लैंगिक भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ इस तरह की अन्य घटनाएं दुर्भाग्य से मीडिया की लगातार सुर्खियां बन रही है.
लगातार यौन उत्पीड़न की घटनाओं को पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन एनएचआरसी ने करार दिया है. साथ ही कहा है कि वे इस मसले की गंभीरता को समझते हैं. नेशनल लेवल पर
मानवाधिकारों का संरक्षण करने वाली शीर्ष संस्था होने के नाते वह इस मामले में हस्तक्षेप जरूरी मानती है जिससे यह पता चल सके कि सरकार और अन्य एजेन्सियों की भूमिका में किस स्तर पर कमी है और तुरंत इसके लिए क्या कदम उठाने की जरूरत है.
(भाषा इनपुट के साथ)