
मुंबई, 6 मई : मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने मीठी नदी सफाई परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में पहली प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की है, जिसके तहत सुबह से ही पूरे शहर में छापेमारी की जा रही है. ईओडब्ल्यू की टीमों ने मंगलवार को 8 से 9 स्थानों पर समन्वित तलाशी शुरू की, जिसमें बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के कई ठेकेदारों और अधिकारियों के कार्यालय और आवासीय परिसर शामिल हैं. यह कार्रवाई प्रारंभिक जांच के बाद दर्ज की गई आपराधिक शिकायत के बाद की गई है.
सूत्रों ने पुष्टि की है कि एफआईआर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के निष्कर्षों पर आधारित है, जिसका गठन पिछले साल अगस्त में महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान उठाई गई चिंताओं के बाद किया गया था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) प्रवीण दारकेकर और प्रसाद लाड ने नदी पुनरुद्धार परियोजना में अनियमितताओं पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद सरकार ने गहन जांच शुरू की. यह भी पढ़ें : उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला परियोजना: उत्तर रेलवे ने सुरंग संचार कार्य में देरी की ओर ध्यान दिलाया
एफआईआर के अनुसार, कथित घोटाले का दायरा लगभग 55 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़ा है. फर्जी समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए पांच ठेकेदारों के साथ-साथ तीन बीएमसी अधिकारियों का भी नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है.
ईओडब्ल्यू इस मामले की प्रारंभिक जांच कर रहा था, जिसे अब आधिकारिक तौर पर आपराधिक मामले के रूप में दर्ज कर लिया गया है. मीठी नदी से गाद निकालने के घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मंगलवार को पांच ठेकेदारों, तीन बीएमसी अधिकारियों, दो कंपनी प्रतिनिधियों और तीन बिचौलियों के खिलाफ नगर निगम को 50 करोड़ रुपये से अधिक का गलत नुकसान पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. जिसके बाद पुलिस आरोपियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है.