मनसे (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ( Raj Thackeray) को कोहिनूर मील मामले में पूछताछ के लिए ईडी ( Enforcement Directorate) ने नोटिस भेजा था. जिसमें उन्हें 22 अगस्त को ( गुरुवार) को ईडी दफ्तर में 11 बजे पेश होने के लिए कहा गया था. इस दौरान किसी प्रकार का हंगामा न हो इसलिए मुंबई और ठाणे से एहतियातन कई कार्यकर्ता हिरासत में लिए गए हैं. वहीं ईडी के दफ्तर के बाहर पुलिस बल को तैनात किया गया. क्योंकि भारी संख्या में राज ठाकरे के समर्थकों के शामिल होने की आशंका है. इसी कड़ी में गुरुवार सुबह मनसे नेता संदीप देशपांडे को हिरासत में ले लिया गया है.
बता दें कि ईडी की नोटिस के बाद राज ठाकरे ने कहा था कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा भेजे गए सम्मन का सम्मान करेंगे. इस दौरान उन्होंने अपने समर्थकों से शांत रहने की अपील भी की. इस मुद्दे पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में ठाकरे ने सभी मनसे कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हस्ताक्षरित बयान में कहा कि मार्च-2006 में पार्टी की स्थापना के बाद से उनके और कार्यकर्ताओं के खिलाफ अनगिनत मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने कहा, हम सभी ने हर बार जांच एजेंसियों और अदालत द्वारा भेजे गए नोटिस का सम्मान किया है. इस बार भी हम सभी को ईडी द्वारा भेजे गए सम्मन का सम्मान करना चाहिए.
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उद्धव ठाकरे ने किया राज का समर्थन
उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपने आवास पर मीडियाकर्मियों से यह कहते हुए अपना परोक्ष समर्थन जाहिर किया कि ईडी द्वारा उनसे (राज ठाकरे से) पूछताछ में कुछ भी नहीं निकलेगा. उद्धव ने कहा, मुझे नहीं लगता कि ईडी द्वारा उनसे (राज ठाकरे) कल की जाने वाली पूछताछ से कोई नतीजा निकलेगा. द्धव ने यह टिप्पणी इगतपुरी से कांग्रेस विधायक निर्मला गावित के शिवसेना में शामिल होने के मौके पर की थी.
Mumbai: Maharashtra NavNirman Sena (MNS) leader Sandeep Deshpande detained by police as a precautionary measure. MNS chief Raj Thackeray has been summoned by the Enforcement Directorate (ED) to appear before the agency, today. pic.twitter.com/4kIUATA6PK
— ANI (@ANI) August 22, 2019
यह है पूरा मामला
दरअसल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सीएम मनोहर जोशी के बेटे उन्मेश जोशी और उनके व्यापारिक साझेदार राज ठाकरे को नोटिस भेजा था. क्योंकि जोशी की कंपनी और उसके निवेश पहले से ही सवालों के घेरे में हैं क्योंकि यह लगभग 135 करोड़ रुपये के आईएल एंड एफएस के प्रमुख डिफॉल्टरों में से है. उन्मेश जोशी, राज ठाकरे और उनके सहयोगी द्वारा यह एक दशक पहले लॉन्च की गई थी. उनकी 421 करोड़ रुपये में विवादास्पद कोहिनूर मिल्स नंबर-3 खरीदने की योजना थी.
आईएल एंड एफएस ने 2008 में अचानक कथित तौर पर इस सौदे से हाथ पीछे खींच लिए और महज 90 करोड़ रुपये में अपने शेयरों को बेच दिया. इससे बड़ा नुकसान हुआ और बाद में ठाकरे भी अपने शेयर बेचने के बाद इससे बाहर निकल गए. जोशी का कोहिनूर समूह उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी द्वारा स्थापित किया गया था. यह पहले कोहिनूर सीटीएनएल को नियंत्रित करता था.