महाराष्ट्र के लातूर जिले में 100 से अधिक किसानों ने शनिवार को वक्फ बोर्ड पर आरोप लगाया कि वह उनकी खेती की ज़मीन हड़पने की कोशिश कर रहा है, जो वे कई पीढ़ियों से चला आ रहा है. यह दावा छत्रपति संभाजीनगर स्थित महाराष्ट्र राज्य वक्फ अधिकरण में दायर किया गया है, और किसानों को 300 एकड़ ज़मीन के संदर्भ में नोटिस जारी किए गए हैं.
किसानों की चिंता
किसानों का कहना है कि वे जो ज़मीन पीढ़ियों से खेती के लिए उपयोग कर रहे हैं, वह वक्फ संपत्ति नहीं है. तुकाराम कनवटे, जो इनमें से एक किसान हैं, ने कहा, "यह ज़मीन हमारे पूर्वजों से मिली है, और यह वक्फ संपत्ति नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करे और हमें न्याय मिले. इस मामले में अब तक दो सुनवाई हो चुकी हैं और अगली सुनवाई 20 दिसंबर को है."
वक्फ बोर्ड का क्या है मतलब?
वक्फ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियों को कहते हैं. वक्फ का अर्थ है ऐसी संपत्ति को जनकल्याण के लिए दान करना, जिसे आमतौर पर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए उपयोग किया जाता है. इन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो उनकी देखरेख करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनका इस्तेमाल सही उद्देश्यों के लिए हो.
वक्फ बोर्ड की भूमिका
हर राज्य में सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड होते हैं जो वक्फ संपत्तियों की देखभाल करते हैं. इन बोर्डों का मुख्य कार्य है धार्मिक संस्थानों की देखरेख, गरीबों की मदद, और शिक्षा जैसे कार्यों के लिए धन का उपयोग. केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्डों के कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया है, ताकि वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके.
क्या है किसानों की मांग?
लातूर जिले के किसान अपनी ज़मीन पर वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह ज़मीन उनकी पुरानी विरासत है और इसके साथ कोई भी गलत दावा नहीं होना चाहिए. किसान सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और चाहते हैं कि उनकी ज़मीन का कब्जा वक्फ बोर्ड के हवाले न किया जाए.