चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने सोमवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को निर्देश दिया कि वह 6.29 लाख रुपये की पूरी राशि उस व्यक्ति को लौटा दे, जिसे मुआवजे के रूप में वह राशि दी गई थी. कोर्ट ने कहा कि एलआईसी को अदालत द्वारा एक गरीब व्यक्ति जिसका बेटा हादसे में मर गया हो उसको दिए गए धन से लाभ का दावा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. Password Security: एक मिनट से भी कम समय में AI क्रैक कर सकता है आपका पासवर्ड, ऐसे करें सिक्योर.
2009 में, तिरुवरुर जिले में ओएनजीसी की एक पाइपलाइन में विस्फोट हो गया. इस घटना में पाकीरिसामी के 14 वर्षीय बेटे की मत हो गई थी. हादसे के बाद ओएनजीसी ने पाकीरिसामी को 6,29,100 रुपए का मुआवजा दिया था. हालांकि, कंपनी ने राशि को नकद में नहीं किया, लेकिन एलआईसी के साथ एक वार्षिकी योजना में पाकीरिसामी के नाम पर निवेश किया.
LIC को मुआवजे की राशि लौटाने का निर्देश
You are one of the richest bodies in the world: Madras High Court orders LIC to return ₹6.29 lakh to man whose son died in ONGC blast
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— Bar & Bench (@barandbench) April 10, 2023
योजना के अनुसार, पाकीरिसामी को 4,000 रुपये हर महीने मिलने थे. और उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी इसकी हकदार होती, लेकिन पाकीरिसामी और उनकी पत्नी दोनों की मृत्यु के बाद, शेष राशि पर एलआईसी का ही अधिकार होना था.
हालांकि 2010 में, पाकीरिसामी बीमार पड़ गए और उन्होंने एलआईसी से अपनी इस राशि को देने के लिए कहा ताकि वह अपने मेडिकल बिलों का भुगतान कर सकें. इस तरह की निकासी के लिए उन्हें ओएनजीसी ने अनुमति नहीं दी और एलआईसी ने भी रकम लौटाने से इनकार कर दिया.
सोमवार को एलआईसी के वकील सीके चंद्रशेखर ने कोर्ट को बताया कि एक बार पैसे का निवेश हो जाने के बाद ऐसी कोई योजना नहीं है जहां पूरी रकम मुख्य निवेशक को लौटाई जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि एलआईसी किसी भी तरह से दुर्घटना या पाकीरिसामी के बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं है.
हाई कोर्ट ने कहा कि एलआईसी द्वारा ओएनजीसी द्वारा पाकीरिसामी को दी गई कॉर्पस राशि को रखने का कोई औचित्य नहीं था, खासकर क्योंकि रकम पाकीरिसामी को मिलनी थी और उन्होंने इस वार्षिकी योजना में राशि का निवेश नहीं किया. कोर्ट ने कहा कि यह राशि पाकीरिसामी की है और एलआईसी, एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो उस गरीब आदमी को पैसा देने से इनकार कर रहा है जिसने अपना बेटा खो दिया है.
कोर्ट ने बीमा कंपनी को दो सप्ताह के भीतर पक्कीरिसामी को 6.29 लाख रुपये की पूरी राशि जारी करने का निर्देश दिया. एलआईसी ने जब इस रकम को चुकाने के लिए अधिक समय मांगा तो कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, "आप दुनिया के सबसे अमीर निकायों में से एक हैं. आप दो सप्ताह के भीतर अनुपालन कर सकते हैं."