
बेंगलुरु, कर्नाटक: कर्नाटक सरकार ने हाल ही में प्रस्तावित 10 घंटे के वर्किंग डे को लेकर उठे विवाद के बीच स्पष्ट किया है कि इससे साप्ताहिक कार्य के कुल 48 घंटे की सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा.सरकार का कहना है कि इस बदलाव का उद्देश्य कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए लचीलापन बढ़ाना है.सरकार ने कहा कि प्रस्तावित 10 घंटे की ड्यूटी में एक घंटे का ब्रेक भी शामिल होगा, जिससे वास्तविक कार्य समय नौ घंटे ही रहेगा, जैसा कि मौजूदा नियमों में निर्धारित है. इसके अलावा, अधिकतम 12 घंटे की सीमा भी ओवरटाइम समेत होगी.सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और भारत के श्रम कानूनों के अनुरूप है.
इसका उद्देश्य केवल यह है कि कर्मचारी अपनी 48 घंटे की साप्ताहिक ड्यूटी कम दिनों में पूरी करके फ्लेक्सी शेड्यूल अपना सकें. ये भी पढ़े:Thug Life Movie: कर्नाटक सरकार का सुप्रीम कोर्ट में ‘ठग लाइफ’ की रिलीज को लेकर हलफनामा
प्रस्ताव अभी विचाराधीन
यह बदलाव अभी चर्चा और विचार-विमर्श के चरण में है. सरकार ने हाल ही में श्रम विभाग द्वारा आयोजित त्रिपक्षीय बैठक में ट्रेड यूनियनों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ Section 7 के तहत प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा की है.
केआईटीयू का विरोध
KITU (कर्नाटक स्टेट IT/ITeS एम्प्लॉइज यूनियन) ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए इसे 'आधुनिक गुलामी" करार दिया है. KITU ने राज्य के सभी सेक्टरों से इस कदम का विरोध करने की अपील की है और इसे कर्मचारियों के हितों के खिलाफ बताया है.