Kargil Vijay Divas: सीने पर लगी थी 15 गोलियां, फिर भी योगेंद्र सिंह यादव ने PAK सैनिकों को खदेड़ कर भरी थी जीत की हुंकार
सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव ( फोटो क्रेडिट- You Tube )

भारत वीरों कि धरती रही है. अपने देश की आन-बान और शान के लिए सेना अपने प्राण तक न्योछावर कर देती है. दुश्मन अगर आंख उठाकर देखे तो उसकी आंखे निकाल लेती है. यही कारण है हर भारतीय अपनी सेना को बड़े ही सम्मान की नजरों से देखता है. आज भारत के लिए गर्व से भरा दिन है, आज ही के दिन भारतीय सेना ने 1999 की करगिल की लड़ाई (Kargil War) में पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर पानी फेर के करारी हार दिया था.

आज पूरा देश इसी गौरपूर्ण जीत की 20 वीं वर्षगांठ मना रहा है. कारगिल की लड़ाई में कई जवानों ने अपना बलिदान हंसते हंसते दे दिया. इन वीरों की गाथा हमे जरुर जानना चाहिए. भारत के 21 परमवीर चक्र विजेताओं में से एक हैं नाम योगेंद्र सिंह यादव (Yogendra Singh Yadav) का भी है. 18 ग्रिनेडियर के वीर जवान योगेन्द्र सिंह यादव की वीरगाथा सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे

योगेंद्र सिंह यादव को 22 जून 99 में उन्हें तोलोलिंग पहाड़ी पर भेजा गया. लेकिन जो टारगेट उन्हें मिला था वो दुनिया का सबसे खतरनाक पॉइंट में से द्रास सेकटर की सबसे ऊंची पहाड़ी थी. इस पहाड़ी पर योगेन्द्र सिंह अपने अफसर और 22 जवानों के साथ मोर्चा पर पहुंच गए. लेकिन पहले से ही घात लगाकर बैठे पाकिस्तानियों ने गोलियों की बौछार कर दी. इसके बावजूद योगेंद्र सिंह और उनके साथ मैदान में डटे रहे. लेकिन इसी बीच एक गोली उनके कमर में आकर लगी. फिर भी वे लड़ते रहे. इस दौरान उन्हें तकरीबन 15 से ज्यादा गोलियां लगी.

लेकिन इस रणबांकुर ने हार नहीं मानी. पाक सैनिकों को खदेड़ दिया. टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराने के बाद ही वे बेहोश हुए. उनकी इस साहस को देखकर 19 साल की उम्र में ही परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. लड़ाई खत्म होने के बाद योगेंद्र यादव का कई दिनों तक अस्पताल में इलाज चलता रहा. जिसके बाद वे पूरी तरह से ठीक हो गए.

योगेंद्र सिंह यादव उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के औरंगाबाद अहीर गांव में रहतें हैं उनका जन्म 1980 में हुआ था. शादी के 15 दिन बाद ही सेना की तरफ से उन्हें तत्काल रिपोर्ट करने का आदेश मिला था. फिलहाल योगेंद्र इन दिनों 18 ग्रेनेडियर्स में सूबेदार हैं और बरेली में तैनात हैं.

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गौरतलब हो कि भारतीय सेना को करगिल के युद्ध में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. पाकिस्तानी सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे और हमारे सैनिकों को गहरी खाई में रहकर उनसे मुकाबला करना था. भारतीय जवान किसी आड़ के सहारे या रात में चढ़ाई कर पाकिस्तानियों का सामना कर रहे थे. 8 मई को कारगिल युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने थल देना की मदद करना शुरू कर दिया था.

इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे. 26 जुलाई को भारत ने करगिल युद्ध (Kargil War) में जीत हासिल की थी. करगिल युद्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 3 हजार सैनिकों को मार गिराया था. यह युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था.