Bollywood Stars Mourn Manoj Kumar’s Demise: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार के निधन से फिल्म इंडस्ट्री में गहरा शोक व्याप्त है. 87 वर्षीय अभिनेता ने भारतीय सिनेमा में अपने अतुलनीय योगदान से एक अलग पहचान बनाई थी. उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उन्होंने अपने करियर में कई देशभक्ति से भरपूर फिल्में दीं, जो आज भी दर्शकों के दिलों में जीवंत हैं. उनके निधन की खबर सुनते ही बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई, और कई सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
मनोज कुमार सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे. उन्होंने अपने सिनेमा के माध्यम से देशभक्ति, सामाजिक परिवर्तन और भारतीय संस्कृति को बड़े पर्दे पर जीवंत किया. उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन का माध्यम थीं, बल्कि उनमें एक गहरी सीख और संदेश छिपा होता था. उनका निधन भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति है, और फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. Manoj Kumar Tribute by Anand Mahindra: बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा ने जताया शोक, बोले ' मेरे परिवार ने कभी भी मनोज कुमार की कोई भी फिल्म मिस नहीं की'
अक्षय कुमार ने X (ट्विटर) पर लिखा, "मैंने उनसे सीखा कि हमारे देश के लिए प्यार और गर्व से बढ़कर कोई भावना नहीं. और अगर हम अभिनेता इसे दिखाने की पहल नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? वह न केवल बेहतरीन इंसान थे, बल्कि हमारी इंडस्ट्री की सबसे बड़ी धरोहरों में से एक थे. ओम शांति, मनोज सर."
I grew up learning from him that there’s no emotion like love and pride for our country. And if we actors won’t take the lead in showing this emotion, who will? Such a fine person, and one of the biggest assets of our fraternity. RIP Manoj Sir. Om Shanti 🙏 pic.twitter.com/sr8U4Wkqgq
— Akshay Kumar (@akshaykumar) April 4, 2025
जैकी श्रॉफ ने जग्गू दादा स्टाइल में हाथ जोड़े हुए इमोजी और टूटे हुए दिल का इमोजी शेयर कर अपनी संवेदना व्यक्त की.
— Jackie Shroff (@bindasbhidu) April 4, 2025
मनोज कुमार ने अपने करियर में कई यादगार फिल्में दीं, खासकर देशभक्ति और सामाजिक विषयों पर केंद्रित फिल्में, जिनमें 'शहीद' (1965) में भगत सिंह की भूमिका, 'उपकार' (1967) जो 'जय जवान, जय किसान' नारे से प्रेरित थी, 'पूरब और पश्चिम' (1970) जिसमें भारतीय संस्कृति और पश्चिमी सभ्यता की तुलना दिखाई गई, 'रोटी, कपड़ा और मकान' (1974) जो सामाजिक असमानता पर केंद्रित थी, और 'क्रांति' (1981) जो स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित थी, शामिल हैं. उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जो भारतीय सिनेमा में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों का प्रमाण है.
बॉलीवुड में शोक की लहर
मनोज कुमार के निधन के बाद फिल्म इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने उन्हें याद किया और उनकी देशभक्ति से प्रेरित फिल्मों की तारीफ की. उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता, और उनका नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा.













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