मदद के लिए तरस रहे म्यांमार के लोग; सेना ने हमले रोकने की घोषणा की
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

म्यांमार में सैन्य शासन ने भूकंप से हुई तबाही के बाद विद्रोहियों पर हमले रोकने की घोषणा की है. 28 मार्च को आए शक्तिशाली भूकंप में अब तक करीब 3,000 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों मकान टूट गए हैं.म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप में मृतकों की संख्या बढ़ गई है. देश के सैन्य शासन (जुंटा) के मुताबिक, बुधवार (2 अप्रैल) तक 3,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 4,600 से ज्यादा लोग घायल और 373 अभी भी लापता हैं. पीड़ित अधिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं. 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने म्यांमार में हजारों इमारतों को धराशायी कर दिया है.

इसके अलावा 2 अप्रैल को सेना ने तीन हफ्ते (22 अप्रैल तक) के सीमित संघर्ष-विराम की घोषणा की है. जुंटा से लड़ रहे कई प्रमुख सशस्त्र गुटों ने भूकंप राहत अभियान के दौरान पहले से संघर्ष-विराम लागू किया हुआ. फरवरी 2021 में हुए तख्तापलट के बाद से म्यांमार सैन्य शासन के तहत है. तब से सेना और विद्रोहियों के बीच गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, मानवाधिकार समूहों और विदेशी सरकारों ने म्यांमार के गृहयुद्ध में सभी पक्षों से लड़ाई रोकने और दशकों में आए सबसे बड़े भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की है.

गंभीर अव्यवस्था

समाचार एजेंसी एएफपी के पत्रकारों ने भूकंप के केंद्र से कुछ ही दूरी पर सगाइंग शहर में कई झकझोर देने वाले दृश्य देखे हैं. इस शहर में कम से कम 200 लोग मदद पाने के लिए कतार बनाकर खड़े दिखे और ट्रैफिक के बीच से भागते लोग इस कतार को और लंबा कर रहे थे. इस शहर में व्यापक तबाही हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि हर तीन में से एक घर गिर गया है. भूकंप के पांच दिन बाद भी स्थानीय लोग मदद ना मिलने की शिकायत कर रहे हैं. संचार और बुनियादी ढांचे की कमी के कारण जानकारी जुटाने और सहायता पहुंचाने में देरी हो रही है, जिससे आपदा का पूरा पैमाना अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. अनुमान है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.

पढ़ें: भूकंप के बाद मलबे में कोई कितनी देर तक जिंदा रह सकता है

राहत व बचाव कार्यों में जुटे समूहों का कहना है कि भूकंप राहत का काम सैन्य शासन और सशस्त्र गुटों के बीच जारी संघर्ष से बाधित हुआ है. म्यांमार पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत जूली बिशप ने सभी पक्षों से "नागरिकों सहित राहतकर्मियों की सुरक्षा और जीवन-रक्षक सहायता पहुंचाने पर ध्यान लगाने" की अपील की है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस बड़े भूकंप से पहले ही 35 लाख लोग संघर्ष के कारण विस्थापित हो चुके थे और उनमें से कई भूख का सामना कर रहे थे.

आपदा में सैन्य शासन के लिए अवसर

म्यांमार में बीते दशकों की सबसे घातक प्राकृतिक आपदा ने सत्तारूढ़ जनरल मिन आंग ह्लाइंग की स्थिति मजबूत कर दी है. उनकी सैन्य सरकार ने एक निर्वाचित सरकार को हटाकर क्रूर गृहयुद्ध शुरू किया था. आज, चार साल बाद उनके लिए बंद हुए कूटनीतिक रास्ते खुलने लगे हैं.

पिछले हफ्ते आए भूकंप से ठीक पहले सैन्य शासन प्रमुख थाईलैंड में एक क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन के लिए विदेश यात्रा की तैयारी कर रहे थे. उनके सहयोगी, दूसरे नेताओं के साथ जनरल की बैठकें तय करने में व्यस्त थे. इस बीच थाई अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि मिन आंग ह्लाइंग शुक्रवार को बैंकॉक में बिम्सटेक समूह के शिखर सम्मेलन में भाग ले सकते हैं.

भूकंप के बाद कुछ दिनों में जनरल ह्लाइंग ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से बातचीत की है. इन वार्ताओं से म्यांमार को ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सहायता पाने में मदद मिली है.

चीनी रेड क्रॉस टीम पर सेना की हवाई फायरिंग

म्यांमार के सैन्य शासन ने बुधवार को कहा कि "चीनी रेड क्रॉस का काफिला एक संघर्ष क्षेत्र में भूकंप पीड़ितों को सहायता देने जा रहा था और अधिकारियों ने रुकने का संकेत किया लेकिन काफिला चलता रहा. इसलिए म्यांमार के सैनिकों ने काफिला रोकने के लिए हवाई फायरिंग की है." जुंटा के प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने बताया कि नौ वाहनों का यह दल मंगलवार रात शान राज्य के ओम्माटी गांव जा रहा था और सैनिकों के संकेत दिए जाने पर भी नहीं रुका. इस घटना के बारे में संवाददाताओं से पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी रेड क्रॉस का भेजा गया सामान पहुंच चुका है और टीम व सामग्री "अभी सुरक्षित" है.

आरएस/एनआर/आरआर (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)